Monday, September 16, 2019

Столкновения в Гонконге: бутылки с горючей смесью, водометы и слезоточивый газ

Полиция Гонконга использовала водометы и слезоточивый газ против демонстрантов, которые бросали бутылки с горючей смесью и кирпичи в правительственные здания в ходе протестов в воскресенье.

Ранее сотни протестующих собрались возле британского консульства, спев "Боже, храни королеву" и требуя, чтобы Великобритания принудила Китай обеспечивать обещанные им в 1997 году свободы Гонконгу - бывшей зависимой от Британии территории.

Полиция в заявлении подтвердила, что в ходе стычек был использован слезоточивый газ и "транспортные средства для управления толпой" против демонстрантов, участвующих в "несанкционированном собрании".

Сторонники Пекина, в свою очередь, обвиняют страны Запада, в том числе США и Великобританию, в разжигании протестов.

Масштабные протесты в Гонконге продолжаются с начала июня, поводом для них стало рассмотрение поправок к отмененному теперь законопроекту об экстрадиции. Согласно предложенным поправкам, житель Гонконга мог быть экстрадирован в материковый Китай, где, как считают протестующие, люди могут столкнуться с нарушениями прав человека.

Эти поправки окончательно отменили в этом месяце, но протестующие продолжают призывать к демократии и расследованию обвинений в жестокости полиции.

Как следует из сообщений, протестующие в воскресенье бросали кирпичи в полицейских недалеко от базы Народно-освободительной армии Китая, которая находится вблизи от парламента и правительственных учреждений Гонконга.

Агентство Рейтер сообщает, что митингующие также подожгли плакат, посвященный 70-летию основания Китайской Народной Республики.

Агентство Рейтер сообщало, что один из водометов загорелся, когда в него попала бутылка с горючей смесью.

Еще один водомет стрелял голубыми струями, чтобы впоследствии протестующих можно было распознать.

Хотя Гонконг является частью Китая, действующее соглашение "одна страна - две системы" обеспечивает ему высокую степень автономии и защищает свободу собраний и свободу слова.

Протестующие возле британского консульства кричали "Одна страна - две системы" мертва" и "Свободный Гонконг".

"Нам обещали, что у жителей Гонконга будут базовые права человека и защита", - сказал один из демонстрантов Би-би-си. "Мы считаем, что правительство Великобритании имеет законные права и моральные обязательства по защите жителей Гонконга", - добавил он.

Китай же настаивает на том, что придерживается договоренности с Гонконгом.

Гонконг в 1997 году перешел в юрисдикцию Китая, перестав быть зависимой от Великобритании территорией. В 1990 году был утвержден Основной закон Гонконга, который должен был исполнять роль конституции после передачи суверенитета. Гонконг стал первым административным регионом Китая после его передачи.

Thursday, September 5, 2019

台湾友邦摇摆不定 所罗门群岛外长确认访台

台湾媒体日前报导,太平洋岛国所罗门群岛可能在本周宣布与中国建交、并与台湾断交,但是所罗门群岛驻台大使馆9月5日向BBC中文证实,其外交部长马内雷(Jeremiah Manele)将在本周日(9月8日)访问台湾,停留至9月12日。台湾政府目前尚未确认马内雷访台的消息。

所罗门群岛驻台大使王哲夫(Joseph Waleanisia)通过邮件向BBC中文表示,该国外长马内雷(Jeremiah Manele)此次访台是受到台湾外交部长吴钊燮的邀请,预计停留5天。

王哲夫称:“外长赴台将谈论的细节尚未对外公布,但相信两位外长将借此机会讨论两国共同关心的外交和双边发展合作事宜。”他并称,马内雷与吴钊燮8月时曾在“太平洋岛国论坛”(PlF)见面。

另外,至于有关外界传出所罗门群岛可能与台湾断交一事,他发表声明表示,由国会议员组成的跨党派小组评估与中国建交的可能性,是新政府的计划之一,只是负责政策考量。而由政府部长8月组团赴北京则是为了解若与中国建交,可得到的援助等,两件事涉及的工作并不同。跨党派小组预计本周会送交评估与北京建交的可能性报告给总理。

学者分析,所国外长同意受邀访问台湾,代表与台断交的可能性大幅降低,但是断交的可能性仍在。台湾东海大学政治学系助理教授林子立说:“他们可能会狮子大开口要求援助,也有可能是为了做为与北京谈判的筹码,两边互相交互利用,为所国得到最大的利益。”

台湾政治大学国际关系研究中心研究员严震生则对BBC中文表示,所国外交部长愿意赴台对台湾而言是好事,但也有可能是拿在大陆得到的承诺,向台湾讨价还价。

太平洋岛国倒向中国?
蔡英文于2016年上任后,已经有5个邦交国与台湾断交,台湾多次批评中国以巨额援助诱使台湾友邦转投中国,但遭到北京当局否认。

9月1日路透社曾报导,指所罗门群岛已成立部长级团队准备与北京对话,甚至本周就有可能宣布与北京建交,与台湾断交。

对此,中国外交部发言人耿爽9月2日在例行记者会上给予“原则性回应”,表示“众所周知世界上只有一个中国,中国政府愿在一个中国原则的基础上,同世界各国发展友好合作关系。”台湾官方则强调,“两国互动正常”。

Monday, August 26, 2019

शादी के लिए लड़का और लड़की की उम्र अलग-अलग क्‍यों: नज़रिया

लड़का और लड़की के लिए शादी की उम्र अलग-अलग क्‍यों है? लड़की की कम और लड़के की ज़्यादा... भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में लड़के और लड़की की शादी की क़ानूनी उम्र में फ़र्क है.

लड़की की उम्र कहीं भी लड़के से ज्‍़यादा नहीं रखी गयी है. दिलचस्‍प है कि हमारे देश में तो बालिग होने की कानूनी उम्र दोनों के लिए एक है मगर शादी के लिए न्‍यूनतम क़ानूनी उम्र अलग-अलग.

पिछले दिनों दिल्‍ली हाईकोर्ट में वकील अश्विनी कुमार उपाध्‍याय ने एक याचिका दायर की. याचिका में मांग की गयी कि लड़की और लड़कों के लिए शादी की उम्र का क़ानूनी अंतर खत्‍म किया जाए.

याचिका कहती है कि उम्र के इस अंतर का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. यह पितृसत्‍तात्‍मक विचारों की देन है. इस याचिका ने एक बार फिर भारतीय समाज के सामाने शादी की उम्र का मुद्दा सामने खड़ा कर दिया है. जी, यह कोई पहला मौका नहीं है.

भारत में शादी की उम्र काफ़ी अरसे से चर्चा में रही है. इसके पीछे सदियों से चली आ रही बाल विवाह की प्रथा को रोकने का ख्‍याल रहा है. ध्‍यान देने वाली बात है, इसके केन्‍द्र में हमेशा लड़की की ज़िंदगी ही रही है. उसी की ज़िंदगी बेहतर बनाने के लिहाज़ से ही उम्र का मसला सवा सौ साल से बार-बार उठता रहा है.

साल 1884 में औपनिवेशिक भारत में डॉक्‍टर रुख्‍माबाई के केस और 1889 में फुलमोनी दासी की मौत के बाद यह मामला पहली बार ज़ोरदार तरीके से बहस के केन्‍द्र में आया. रुख्‍माबाई ने बचपन की शादी को मानने से इनकार कर दिया था जबकि 11 साल की फुलमोनी की मौत 35 साल के पति के जबरिया यौन सम्‍बंध बनाने यानी बलात्‍कार की वजह से हो गयी थी.

फुलमोनी के पति को हत्‍या की सजा तो मिली लेकिन वह बलात्‍कार के आरोप से मुक्‍त हो गया. तब बाल विवाह की समस्‍या से निपटने के लिए ब्रितानी सरकार ने 1891 में सहमति की उम्र का क़ानून बनाया. इसके मुताबिक यौन सम्‍बंध के लिए सहमति की उम्र 12 साल तय की गयी. इसके लिए बेहरामजी मालाबारी जैसे कई समाज सुधारकों ने अभियान चलाया.

द नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्‍शन ऑफ़ चाइल्‍ड राइट्स (एनसीपीसीआर) की रिपोर्ट चाइल्‍ड मैरेज इन इंडिया के मुताबिक, इसी तरह मैसूर राज्‍य ने 1894 में एक कानून बनाया. इसके बाद आठ साल से कम उम्र की लड़की की शादी पर रोक लगी.

इंदौर रियासत ने 1918 में लड़कों के लिए शादी की न्‍यूनतम उम्र 14 और लड़कियों के लिए 12 साल तय की. मगर एक पुख्‍ता क़ानून की मुहिम चलती रही. 1927 में राय साहेब ह‍रबिलास सारदा ने बाल विवाह रोकने का विधेयक पेश किया और इसमें लड़कों के लिए न्‍यूनतम उम्र 18 और लड़कियों के लिए 14 साल करने का प्रस्‍ताव था. 1929 में यह क़ानून बना. इसे ही सारदा एक्‍ट के नाम से भी जाना जाता है.

इस कानून में 1978 में संशोधन हुआ. इसके बाद लड़कों के लिए शादी की न्‍यूनतम क़ानूनी उम्र 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल हो गयी. मगर कम उम्र की शादियां रुकी नहीं. तब साल 2006 में इसकी जगह बाल विवाह रोकने का नया क़ानून आया. इस कानून ने बाल विवाह को संज्ञेय जुर्म बनाया.

1978 का संशोधन इसीलिए हुआ था कि बाल विवाह रुक नहीं रहे हैं. खासतौर पर 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी नहीं रुक रही है. मुमकिन है, आंकड़ों के बारे में कुछ मतभेद हो लेकिन क़ानूनी उम्र से कम में शादियां हो रही हैं.

संयुक्‍त राष्‍ट्र बाल कोष (यूनिसेफ़) के मुताबिक, भारत में बाल विवाह के बंधन में बंधी दुनिया भर की एक तिहाई लड़कियां रहती हैं. राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण 2015-16 के आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में 20-24 साल की लगभग 26.8 फ़ीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो चुकी थी.

इसके बरअक्‍स 25-29 साल के लगभग 20.4 फ़ीसदी लड़कों की शादी 21 साल से पहले हुई थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में 40.7 फ़ीसदी, बिहार में 39.1 फ़ीसदी, झारखंड में 38 फ़ीसदी राजस्‍थान में 35.4 फ़ीसदी, मध्‍यप्रदेश में 30 फ़ीसदी, महाराष्‍ट्र में 25.1 फ़ीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो गई थी.

संयुक्‍त राष्‍ट्र जनसंख्‍या कोष (यूएनएफ़पीए) बाल विवाह को मानवाधिकार का उल्‍लंघन कहता है. सभी धर्मों ने लड़कियों की शादी के लिए सही समय उसके शरीर में होने वाले जैविक बदलाव को माना है. यानी माहवारी से ठीक पहले या माहवारी के तुरंत बाद या माहवारी आते ही... लड़कियों की शादी कर देनी चाहिए, ऐसा धार्मिक ख्‍याल रहा है.

इसीलिए चाहे आज़ादी के पहले के क़ानून हों या बाद के, जब भी लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का मुद्दा समाज के सामने आया, बड़े पैमाने पर इसे विरोध का भी सामना करना पड़ा है.

आज भी कम उम्र की शादी के पीछे यह बड़ी वजह है. साथ ही, लड़कियों को 'बोझ' मानने, लड़कियों की सुरक्षा, लड़कियों के 'बिगड़ जाने' की आशंका, दहेज, ग़रीबी, लड़कियों की कम पढ़ाई- अनेक ऐसी बातें हैं जो कम उम्र की शादी की वजह बनती हैं.

Monday, August 19, 2019

叙利亚难民逃到加拿大后支援难民的故事

哈桑·康塔尔(Hassan al-Kontar)在吉隆坡国际机场滞留七个月后,成为世界闻名的“机场人”。他去年在加拿大获得了庇护,如今要回报社会,致力于帮助200名难民找到新家园。

这名38岁的男子最初意识到马努斯岛和瑙鲁寻求庇护者的问题,是因为有人在社交媒体上与他联系,向他解释情况。

那时,他正在网上记录他自己的困境——2011年叙利亚战争爆发后,一系列事件让他束手无策,随后他滞留在马来西亚机场数月。

如今,他住在加拿大,成为了有关难民和安置问题的倡导者。

他与加拿大两个非营利组织合作——加拿大关怀协会(Canada Caring Society)和马赛克(Mosaic),两家组织都致力于难民安置工作。它们正努力通过私人赞助的形式将目前在马努斯岛和瑙鲁的200名难民接到加拿大。

这项新发起的举措被称为“未被遗忘的行动”,该行动得到澳大利亚难民委员会和国际特赦组织的认可。

“我们正在努力为绝望的人带来希望,”康塔尔在英属哥伦比亚的家中告诉BBC记者。

自2012年以来,澳大利亚依据一项具有争议的政策,将乘船抵达的寻求庇护者移至瑙鲁或巴布亚新几内亚马努斯岛,该政策旨在阻止更多寻求庇护者的到来。

但联合国和其他人士表示,岛上的寻求庇护者的人权经常受到侵害,包括性侵和人身攻击。医生也就寻求庇护者的心理健康危机提出越来越多警告。

虽然寻求庇护者不必再经历正式拘留,他们实际上却无止境地处于边缘状态——他们在收容中心一眼望不到头。专家们说,寻求庇护者因此极有可能做出自残行为。

人权观察今年7月表示,有难民根据一次性协议被送往美国,但岛上仍有大约800人,是2013年以来人数最多。

澳大利亚过去二十年来不断有关于边境管控的高度政治化辩论。新西兰提出接纳150名难民,澳大利亚至今仍拒绝这项提议,理由是这样做会打开了通往澳大利亚的“后门”

康塔尔对这种情况深感不安,并与加拿大关怀协会的志愿者劳丽·库珀(Laurie Cooper)交流了这一情况。库珀当初帮助他来到加拿大。

Friday, August 9, 2019

Угнать за 60 секунд? В 2019 году можно и за 10, выяснили журналисты

Какой современный автомобиль легче всего угнать? Как показал эксперимент британского журнала What Car, некоторые из популярных сегодня машин с электронным ключом злоумышленник может взломать, завести и угнать всего за 10 секунд.

В ходе эксперимента журналисты проверили семь моделей машин, оснащенных системой удаленного открытия замков и запуска двигателя. При этом они пользовались электронным оборудованием, популярным сегодня у угонщиков.

Как оказалось, для того чтобы угнать DS 3 Crossback или Audi TT RS достаточно всего 10 секунд, а джип Land Rover Discovery Sport TD4 180 HSE можно открыть и завести за полминуты.

Сегодня количество угонов в Англии и Уэльсе превысило высший показатель за последние восемь лет. В 2018 году в этих частях Соединенного Королевства угнали 106 тысяч машин.

По данным Британской ассоциации автостраховщиков, количество выплат за угоны авто достигло семилетнего пика. В ассоциации связывают этот взлет с ростом популярности электронных замков, но лишь отчасти. Точных данных о том, какая доля угнанных машин была оснащена системами удаленного старта и замками в ассоциации предоставить не могут.

В опрошенных журналом автокомпаниях по-разному прокомментировали результаты эксперимента.

В группе WV, владеющей брендом Audi, сказали, что сотрудничают с полицией и постоянно работают над повышением надежности своих автомобилей.

Представитель группы PSA, материнской компании автопроизводителя DS, заявил, что в компании есть команда, которая в тесном сотрудничестве с полицейскими работает над "анализом методов угона".

Там добавили, что в дилерских салонах системы удаленного старта и открытия замков можно отключить по запросу покупателя.

В Jaguar Land Rover сказали, что "модель Discovery Sport, участвовавшая в эксперименте, больше не производится". "Модель Discovery Sport, которая производится сегодня, оснащена системой защиты от взлома электронных замков", - добавили там.

"К тому же все наши машины оснащены трекерами InControl, которые обеспечивают возврат авто более чем в 80% случаев", - сказал представитель Jaguar Land Rover.

В Британии угонщики, как правило, работают в парах. Обычно они берут на примету машины, припаркованные у домов.

Один угонщик прикладывает к машине устройство, усиливающее сигнал, который замок передает на смарт-ключ.

Второй встает поближе к дому, с другим устройством, которое доводит усиленный сигнал до лежащего в доме ключа.

Таким образом взломщики "обманывают" электронный замок, и машина открывается.

Как говорят полицейские, угнанные авто чаще всего пускают на запчасти.

Некоторые производители борются с угонщиками, оснащая машины датчиками движения.

У журналистов What Car такую систему взломать не получилось, однако она доступна далеко не на всех моделях авто.

Tuesday, July 30, 2019

Росстат: расходы растут быстрее доходов, рост пенсий съедает инфляция

Из доклада Росстата о социально-экономическом положении России в первом полугодии 2019 года можно сделать вывод, что наметившийся было слабый рост доходов россиян сошел на нет.

Русская служба Би-би-си выбрала пять фактов об уровне жизни россиян из документа статистического ведомства.

1. Доходы россиян растут медленнее расходов
В первом полугодии суммарные денежные доходы россиян выросли на 4,6% по сравнению с первым полугодием 2018 года. Общий их объем составил почти 28,4 трлн рублей.

При этом расходы росли быстрее: они увеличились на 6% - до более чем 27,8 трлн рублей.

В расчете на одного человека номинальные среднемесячные доходы россиян в третьем квартале составили 34,4 тысячи рублей. Они выросли в первом полугодии на 4,7%.

Реальные располагаемые доходы(деньги, которые остаются на руках после обязательных платежей с поправкой на рост цен) упали на 1,3%.

Весной этого года Росстат пересмотрел методологию расчета реальных распологаемых доходов и пересчитал данные за прошлые годы. В результате в 2018 году ведомство зафиксировало рост реальных располагаемых доходов на уровне 0,2% (по старой методологии, напротив, было отмечено сокращение показателя).

Росстат объясняет падение инфляцией, а также ростом обязательных выплат (например, процентных платежей по кредитам).

Глава ЦБ Эльвира Набиуллина ранее говорила, что россияне с помощью кредитов пытаются сохранить прежний уровень жизни в условиях спада доходов.

Согласно докладу Росстата, у россиян все меньше возможностей копить. В первом полугодии объем отложенных на будущее средств рухнул на 37% по сравнению с первым полугодием 2018 года. Всего население сберегло за этот период 565 млрд рублей.

В основном население тратило сбережения в первом квартале. Тогда россияне потратили на 223 млрд рублей больше, чем заработали. Во втором квартале они вновь начали копить и всего скопили почти 788 млрд рублей - настолько их доходы превысили расходы.

Пенсии в среднем в первом полугодии этого года выросли на 6%. При этом в реальном выражении, то есть с учетом инфляции цены выросли всего на 0,8%: инфляция съела почти все повышение.

Росстат также считает, какую долю среднего заработка замещает пенсия. В первом полугодии этого года этот показатель составил 30,5%. В первом полугодии прошлого года он составлял 31,3%.

На долю пятой части населения с самыми высокими доходами приходится почти 46% всех денежных доходов россиян. И соответственно на 20% самых бедных приходится 5,6%.

Tuesday, July 23, 2019

多地医保定点药店下架保健食品 专家:不应一刀切

  据中国营养保健食品协会的不完全统计,目前约有20个城市的医保部门以公开发文或以协议约定的方式,明确禁止定点药店摆放、销售保健食品。

  今年以来,多地医保部门以文件通知、协议约定、口头通知、会议通知等方式,要求医保定点药店(以下简称“定点药店”)下架保健食品等非医疗产品。多家保健食品企业及连锁药店相关负责人告诉新京报记者,药店是保健食品的优质销售渠道,受上述规定影响,上半年销售额不同程度下滑,尤其是药店的销售额下滑幅度较大。

  中国营养保健食品协会副秘书长厉梁秋指出,医保部门的上述行为没有合理的法律依据,相应行为可能未进行公平竞争审查。目前,协会正在进行更大范围的调研,并计划针对此事召开研讨会,同时也在努力寻求有关部门的帮助和支持,为更好的营商环境发声。

  出售保健食品或被取消定点资格

  据中国营养保健食品协会的不完全统计,目前约有20个城市的医保部门以公开发文或以协议约定的方式,明确禁止定点药店摆放、销售保健食品。比如,4月16日,锡林郭勒盟医保局发布通知,定点药店摆放保健滋补品等属于违规行为;5月13日,合肥市医保基金管理中心发布通知,定点药店不能摆放和经营医保支付范围以外的其他商品;6月22日后,山西省原平市所有定点药店必须下架非医疗物品⋯⋯

  某保健食品企业科学法规事务部总监徐波(化名)告诉新京报记者,早在2015年前后,很多地方医保部门就陆续发布“定点药店禁售保健食品”的规定,但并未严格执行。去年10月开始,国家医保局开始严打盗刷医保卡等乱象,很多地方医保部门陆续落地原有的要求,抑或是新增规定。除了以文件通知、协议约定的明文方式之外,生产企业和药店反映,很多地方医保部门只是口头通知或会议通知。

  除了下架保健食品外,还有的地区则对保健食品的批文范围进行了限定,如河北省的定点药店只允许销售卫食健字号和国食健字号的保健食品,南宁市则只能销售国食健字号的保健食品。

  7月18日,新京报记者以购买深海鱼油为由,向多个地区的定点药店打电话询问。在全市下架的连云港市,老百姓大药房(解放中路店)工作人员一听深海鱼油,直接表明“定点药店不许卖保健食品”。海王星辰健康药房(连云港巨龙店)工组人员表示,近两年都有说不让定点药店卖保健食品,今年以来管得特别严,只能去非医保定点药店买。此外,徐州的广济连锁药店和延顺堂药房工作人员也做出了上述类似表述。不过,宿州市华丰大药房(胜利路店)表示,店内有保健食品卖,但不能刷医保卡,只能现金结算。

  生产企业与药店销量大幅下滑

  近日,新京报记者从多家保健食品生产企业和连锁药店获悉,受上述规定影响,今年上半年的销售额出现不同程度的下滑。

  “我们95%的店是定点药店,整体销售下滑超过50%。”山东省滨州市某医药连锁药店相关负责人刘正(化名)表示,以前药店的利润主要来自保健食品,今年5月严禁摆放和销售保健食品后,大部分只能退回厂家,少量放在非定点药店销售。

  “药店渠道相对正规和诚信,适合保健食品销售,因此公司销售渠道中药店占比达到60%-70%。”徐波表示,截至今年6月底,公司10个营销大区中共有57座城市的定点药店下架了公司的产品,大批产品被退回,今年上半年销售额下滑超20%。大经销商中,有的半年度销售额从此前的千万元下滑到了今年的几百万元,“只剩下了零头,有的大型连锁药店几乎把所有店面的保健食品下架,哪怕是非定点药店。”

  “南宁连锁药店居多,定点药店在3月底开始只能销售国食健字后,已经给公司造成了上百万元的损失,比如百姓人家药店把我们的产品全部退回。同样是保健食品,为什么要区别对待?”一家维生素类保健食品企业销售大区负责人告诉新京报记者,卫食健字产品很多都是以前的老品牌,包括驰名商标,但在南宁的药店反而不能卖了,让企业很被动,公司主打产品维生素E,90%以上的销量来自药店渠道,如今一个月少卖30多万元,还不算其他产品的损失。

  据国家医疗保障局和国家药监局公布的2018年零售药店数据计算,2018年,医保定点药店达到34.1万家,约占到全国零售药店总数的近70%。“我们目前受到的影响并不是特别大,但这个趋势一旦蔓延,分分钟让我们离场。”一名不愿透露身份的外资保健食品企业相关负责人表示,公司70%-80%的产品销售渠道是药店。

Tuesday, July 9, 2019

कर्नाटक में कामयाब होगी बीजेपी की रणनीति?

लेकिन ये कोशिश पहले जैसी नहीं है, पहले खुले तौर पर ऑपरेशन चलाए गए थे. इस बार उस तरह से नहीं हो रहा है, क्योंकि उस तरह करने से आलोचना होगी.

वो अपना काम तो कर ही रहे हैं. अबतक 13 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं.

इससे सदन का पूरा आंकड़ा नीचे हो गया है. ये 105-150 पर आ पहुंचा है. अब अगर और विधायक जाते हैं तो बहुमत ना होने की वजह से सरकार गिर जाएगी.

ये साफ है कि जिन लोगों ने इस्तीफा दिया है, वो बीजेपी के साथ जाना चाह रहे हैं.

मुझे लगता है कि अगर जेडीएस और कांग्रेस अपना घर ठीक-ठाक नहीं रख पाई है तो आप उंगली किसके ऊपर उठाएंगे.

जबसे बीजेपी सरकार नहीं बना पाई और कांग्रेस ने पिछले साल चुनाव के बाद तुरंत कदम उठाकर मात दे दी. तबसे बीजेपी को लगा है कि उनकी सरकार बननी चाहिए, कोशिश भी की, लेकिन कोशिश सफल नहीं रही है.

और अब बहुत सूझ-बूझ के बाद ये कदम उठा रहे हैं और उनकी रणनीति सफल होती दिख रही है.

मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी देश लौटने के बाद हाथ-पैर मार रहे हैं और छोड़ने वाले विधायकों को मंत्रालय ऑफर कर रहे हैं.

लेकिन उन्होंने बहुत देर कर दी है. जैसे कहा जाता है कि घोड़े भाग गए, अब आप अस्तबल को बंद कर रहे हो.

कांग्रेस और जेडीएस के बीच मतभेद पहले से तीखे रहे हैं, ये पहले से मालूम था.

ये भी मालूम था कि बीजेपी ये करेगी, छोड़ेगी नहीं. फिर भी वो अपने समूह को संभाल नहीं पाए.

इसलिए कहीं ना कहीं खामिया रही हैं और गठबंधन में समस्याएं रही हैं. लेकिन वो उसे संभाल नहीं पाए.

निराशा भी बहुत है, लड़ाईयां बहुत हैं. राष्ट्रीय विपक्ष के लिए निराशा की स्थिति है.

एक और बनी हुई सरकार उनके हाथ से निकल जाए, इससे लग रहा है कि संभाल नहीं पा रहे हैं स्थिति को.

बीजेपी आक्रामक राजनीति तो कर रही है, लेकिन ये पिछले साल जितनी आक्रामक नहीं है.

पिछले साल जैसे विधायकों को तोड़ा नहीं जा रहा है और ना वैसे अपनी तरफ ला रहे हैं और होटल में रख रहे हैं.

हालांकि इस्तीफा देने वाले विधायक मुंबई के एक होटल में गए थे, लेकिन उस तरह से बीजेपी आक्रामक नहीं है जिस तरह पहले थी.

अंदर चाहे कुछ भी चल रहा है, लेकिन विधायक जाकर कहता है कि हम आपके साथ नहीं रहना चाहते.

बीजेपी की दिशा बहुत स्पष्ट है. वो अपनी विचारधारा के तहत चीज़े करना चाह रहे हैं.

वो राज्य सभा में बहुमत चाहत हैं और उस दिशा की ओर बढ़ रही है.

लेकिन इस बार बीजेपी आढ़ में सबकुछ कर रही है.

वो सरकार को गिराने के इरादे से तो चीज़ें कर रहे हैं, लेकिन खुलकर नहीं कर रहे हैं.

मुझे कांग्रेस और जेडीएस से ज़बरदस्त निराशा है. सरकार आपके हाथ में आई हुई है, आपको पता है ये होने वाला है, तब भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं आप.

Wednesday, July 3, 2019

Führende Scientologen gehören zu den aktivsten Immobilienplayern der Stadt

Die Scientology-nahe Swiss Immo Trust AG aus Kaiseraugst ist eine wichtige Akteurin auf dem Basler Immobilienmarkt. Dabei geht die Firma nicht gerade zimperlich vor.

Ein Firmengeflecht rund um die Swiss Immo Trust AG in Kaiseraugst war massgeblich an der Finanzierung der Scientology-Zentrale am Rande Basels beteiligt. Recherchen der TagesWoche zeigten, wie führende Personen in diesen Firmen mit ihren namhaften Spenden einen Grossteil des Sektentempels an der Burgfelderstrasse finanzierten.

Doch nicht nur innerhalb des Basler Ablegers von Scientology ist dieses Unternehmen eine relevante Grösse. Wie unsere Datenauswertung zeigt, gehört die Swiss Immo Trust zu den wichtigsten Akteuren im Geschäft der Umwandlung von Mietwohnungen in Stockwerkeigentum.

Die TagesWoche hat die im Kantonsblatt publizierten Handänderungen auf dem Basler Immobilienmarkt seit Mitte 2008 ausgewertet. Eine solche Transaktion beschreibt den Verkauf einer Immobilie. Naturgemäss geschieht dies bei der Umwandlung in Stockwerkeigentum in relativ kurzer Zeit gleich mehrfach. Ein Unternehmen kauft eine Liegenschaft auf, renoviert oder baut neu und bringt die Wohnungen daraufhin einzeln auf den Markt. Statt einem einzelnen Eigentümer gibt es nun viele verschiedene.

Umstrittenes Business
Dieses Business gilt deshalb als umstritten, weil dadurch sehr oft günstiger Wohnraum verloren geht. Bevor die Umwandlung in Wohneigentum möglich ist, müssen die bisherigen Mieter nämlich weichen.

Zwischen 2010 und 2014 war die Swiss Immo Trust an über 50 solcher Handänderungen beteiligt. Bei 43 davon ging es um Stockwerkeigentum, verteilt auf insgesamt fünf Bauprojekte. Die Liegenschaften befinden sich allesamt im Gebiet zwischen Schützenmatt- und Kannenfeldpark. Bei all diesen Projekten immer mit dabei: Rudolf Flösser, leitender Direktor von Scientology Basel.

Grösstes Projekt war die Überbauung zwischen der Türkheimerstrasse und dem Spalenring. Dort kaufte die Swiss Immo Trust zwei ältere Liegenschaften auf, um sie durch einen Neubau mit 21 Eigentumswohnungen zu ersetzen.

Das Projekt an der Türkheimerstrasse wurde von der
BW-Liegenschaftsverwaltung geleitet, die sich ebenfalls in den Händen einer Scientologin befindet.

Dies Leitung dieses Projekts oblag der BW-Liegenschaftsverwaltung GmbH, einer Firma von Brigitte Widmer – Scientologin und potente Spenderin für den Bau der Sektenzentrale. Die Wohnungen waren zuvor sehr günstig, eine 3-Zimmer-Wohnung kostete weniger als 1000 Franken.

Das Geschäft ging nicht reibungslos über die Bühne, weil sich einige der verbliebenen Mieter gegen ihre Kündigungen wehrten. Darunter zwei Gewerbler, eine Druckerei und ein Malergeschäft. Diese suchten Hilfe beim Mieterverband und erhoben Einsprache.

Eine erste Kündigung, ausgesprochen durch die Firma BW-Immobilientreuhand, ebenfalls aus dem Umkreis der Scientology, erfolgte zur Unzeit und wurde deshalb für ungültig erklärt. Das Bauprojekt in seiner ersten Version (hauptsächlich 1- und 2-Zimmer-Wohnungen) hielt der gerichtlichen Prüfung ebenso wenig stand und wurde für untauglich befunden. Die Mieter durften ein Jahr länger bleiben.

Nachträgliche Kosten
Unangenehm aufgefallen ist die Swiss Immo Trust auch auf dem Land. 2008 berichtete etwa der «Blick» von einer Überbauung in Therwil. Dort wurde sämtlichen 28 Mietparteien wegen Sanierungsbedarf gekündigt – ihre Wohnungen wurden danach während der Euro 08 aber für mehr als 400 Franken pro Tag an Fussballfans zwischenvermietet.

In einem anderen Fall in Oberwil kam es zwischen dem Unternehmen und
26 Käuferparteien von Eigentumswohnungen zu einem Streit wegen einer Rechnung von 600’000 Franken. Die Swiss Immo Trust wollte diese Anschlussgebühr für Wasser und Kanalisation nachträglich auf die Käufer überwälzen.

Diese gingen jedoch davon aus, dass diese Gebühren bereits im Kaufpreis enthalten gewesen waren. Erst nachdem wiederum die BaZ recherchiert hatte, zeigte sich die Swiss Immo Trust einsichtig und verzichtete auf die Forderung.

Monday, June 24, 2019

Убийство в уральском городе обернулось народными волнениями

Бытовой конфликт в уральском городе Нижние Серги обернулся народными волнениями. Как сообщил E1.RU местный житель, в ночь на воскресенье, 23 июня, произошла драка с участием четырех человек, в ходе которой один мужчина был убит.

Подозреваемого в убийстве оперативно задержали, но его родственники и друзья (предположительно, азербайджанцы) потребовали его выдачи. Местные жители сообщили о попытке взять штурмом местное отделение полиции.

"Сегодня вылавливают пацанов и избивают. В соцсетях поступают угрозы. Местные все напуганы", - рассказал изданию один из жителей города, добавивший, что убитый, по всей видимости, был сыном местного авторитета.

В настоящее время за порядком в населенном пункте сейчас следят отряды ОМОНа - город на какое-то время был оцеплен, пускали только тех, у кого есть местная прописка.

Согласно заявлению главы пресс-службы ГУ МВД России по Свердловской области Валерия Горелых, драка, закончившаяся смертью одного из участников, действительно была. Когда на место прибыли врачи, они нашли тело местного жителя 1970 года рождения. В Следственном комитете E1.RU сообщили, что уже проведено вскрытие. Согласно его результатам, причиной смерти названо сердечное заболевание, а не телесные повреждения.

Выпускник гимназии города Северск Томской области Александр Путин объяснил, как смог набрать максимальные 300 баллов на ЕГЭ по трем предметам. Об этом сообщает «Лента.ру».

По словам школьника, ему сильно помогла подготовка к олимпиадам. К самому ЕГЭ он готовился без репетиторов. «Видел, какие задачи у меня не получаются, изучал теорию по ним и решал до тех пор, пока они не стали получаться. Позже я выбирал только самые сложные», — отметил выпускник.

При этом Путин считает, что ЕГЭ не может объективно оценить знания учащегося. «Одному может попасться то, что он знает, а другому - то, что он не успел повторить. Но последний может намного больше первого», - подытожил Александр, назвав ЕГЭ своеобразной лотереей.

Thursday, June 13, 2019

中央督导组进驻10省份 扫黑除恶督导实现全覆盖

  中新网客户端北京6月13日电(冷昊阳)12日,随着中央扫黑除恶第20督导组进驻宁夏,第三轮中央扫黑除恶督导工作中的10省份全部实现督导组进驻。在本轮督导中,各督导组在人员配备上延续了以往“正部级挂帅”高规格,而“打伞破网”“打财断血”等则被继续列为督导重点。

  6月12日,中央扫黑除恶第20督导组督导宁夏回族自治区工作动员会在银川召开,此前,5月底至6月上旬,本轮督导中的其他督导组已完成对北京、陕西、黑龙江、内蒙古、上海、江苏、青海、甘肃、西藏等9个省份的进驻工作。

  据了解,10个中央督导组组长由正省部级领导干部担任,副组长由全国扫黑除恶专项斗争领导小组成员单位副省部级领导干部担任,成员从相关单位抽调。中央扫黑除恶督导组进驻时间原则上为1个月。

  同时,各督导组还开通了举报电话和邮政信箱。电话受理时间为进驻期间每天8时至20时。

  值得一提的是,在此轮督导进驻之前,全国扫黑办已于5月底公开发布升级后的智能化举报平台,群众只需要通过扫描专用二维码、网上搜索“12337”或者点击中国长安网、中央政法委长安剑微信公众号等链接就可一键登录举报。

  今年3月27日,在中央扫黑除恶第二轮、第三轮督导工作动员培训班上,中央政法委秘书长、全国扫黑办主任陈一新对今年的督导的重点工作作出部署,“打伞破网”“打财断血”等被中央督导组列为督导重点。此外,诸如恶势力、软暴力认定以及“套路贷”、利用网络犯罪等新型涉黑涉恶犯罪也被提及。

  而在督导动员会上,中央各督导组也指出了本轮督导的主要目的,包括“顺应人民群众呼声,推动继续将打击锋芒对准人民群众深恶痛绝的违法犯罪,推动全面从严治党向基层延伸,推动基层基础工作不断夯实”,“及时纠正执法办案中的偏差,确保专项斗争始终在法治轨道上运行”,“以专项斗争为牵引,推动各地各有关部门立足‘稳’这个大局,维护好一方平安稳定”等。

  此外,充分发挥中央督导“利剑”威力,紧督依法严打、紧督“打伞破网”、紧督“打财断血”、紧督综合治理、紧督责任担当等方面,也被各督导组重点强调。

  例如,在中央扫黑除恶第14督导组督导黑龙江省工作汇报会上,督导组组长姚增科要求,深入开展专项斗争要求真务实,扎扎实实,力戒形式主义和官僚主义,有目标但不下指标,这个目标就是有黑必扫、有恶必除、有“伞”必打、有腐必反、有乱必治。

  2018年1月,中共中央、国务院发布了《关于开展扫黑除恶专项斗争的通知》,扫黑除恶专项斗争在全国范围内启动。此后,中央决定派出督导组赴地方,检验各地扫黑除恶专项斗争成果。

  从今年4月开始,中央扫黑除恶第二轮督导工作全面铺开,11个中央扫黑除恶督导组进驻天津、吉林、浙江、安徽、江西、湖南、广西、海南、贵州、云南、新疆11个省份及新疆生产建设兵团。

  随后,今年5月,中央督导组杀出扫黑除恶“回马枪”,对首轮督导的河北、山西、辽宁、福建、山东、河南、湖北、广东、重庆、四川等10省市开展了“回头看”。

  在督导成效方面,以不久前结束第二轮督导的吉林省为例,在第二轮督导中,截至4月30日,该省打掉涉黑团伙71个,打掉恶势力犯罪集团112个,打掉恶势力团伙256个,刑拘涉黑涉恶犯罪嫌疑人3345名。

  同样在第二轮督导名单上的云南省,截至4月27日,打掉涉黑组织、涉恶犯罪团伙31个,破获黑恶案件392件,立案查处涉黑涉恶腐败和“保护伞”案件338件。

  再向前追溯,截至2018年12月底,中央扫黑除恶专项斗争第一轮督导的10省市均已整改完毕。

  根据全国扫黑除恶专项斗争领导小组办公室给出的数据,整改期间,10省市打掉涉黑犯罪组织100个,摧毁恶势力犯罪集团1129个,查封、冻结、扣押涉案资产49.43亿元,查处涉黑涉恶腐败和“保护伞”问题2896件3021人。(完)

Tuesday, May 28, 2019

Мужчина пытался ввезти в Канаду тысячи пиявок из России

В Канаде мужчина был оштрафован на 15 тысяч канадских долларов (11 тысяч долларов США, около 710 тысяч рублей) за то, что тот попытался привезти в страну несколько тысяч пиявок из России в своей ручной клади.

Ипполит Бодунов был задержан в международном аэропорту Торонто имени Пирсона в октябре 2018 года. Он пытался провезти в Канаду 4788 живых пиявок.

Пиявки, как выяснилось, были где-то пойманы. Международная торговля и транспортировка двух видов пиявок строго регулируется, потому что они находятся под угрозой исчезновения.

В России и многих других странах пиявки применяются в медицинских целях.

Пиявки были обнаружены в багаже Бодунова пограничной собакой в аэропорту.

В заявлении министерства окружающей среды Канады говорится, что обнаруженные пиявки были отправлены на тестирование, чтобы выяснить, разрешен ли их ввоз в страну.

Выяснилось, что это так называемые медицинские пиявки (Hirudo verbana), торговля которыми строго регулируется.

"Торговля этим видом пиявок контролируется, так как в окружающей среде их становится все меньше из-за деятельности людей", - говорится в заявлении министерства.

Все протестированные пиявки были пойманы на воле.

В интервью канадскому телеканалу Си-би-си Себастьян Квист из Королевского музея Онтарио в Торонто сказал, что был приятно удивлен, что все пиявки выжили в полете.

Ипполиту Бодунову, который, насколько известно, оказался первым человеком за всю историю Канады, пойманным в попытке провезти в страну пиявок, было предъявлено обвинение в незаконном импорте животных, защищенных законом.

Эти кольчатые черви, пьющие кровь животных и людей, находятся под защитой закона с 1823 года.

Около 240 обнаруженных в торонтском аэропорту пиявок были отправлены в музей естествознания в Нью-Йорке, где, после тестирования содержания их желудков, было определено, что они были пойманы на воле, а не были выращены на биофабрике.

Пиявок используют в якобы медицинских целях с древнейших времен с целью снизить кровяное давление и облегчить боль при артрите.

По словам Квиста, известно лишь, что пиявки помогают заживанию вновь пришитых отрубленных пальцев, и, может быть, способны предотвратить инсульт.

По его словам, цена медицинских пиявок достигает от 8 до 20 долларов за каждую.

Monday, May 20, 2019

"Мучения не запоминаются": многодетная мать-одиночка из России начала бегать ультратрейлы с нуля

В 39 лет Елена Нечаева решила выйти на пробежку. Вскоре она получила медаль на ультратрейле, преодолев 107 километров. При этом Елена - многодетная мать-одиночка.

Елена и четыре ее дочери (им 22 года, 14, 11 и 9 лет) живут в небольшом подмосковном городе. Несколько лет назад она ушла от мужа, оставив ему квартиру, но забрав с собой детей. C жильем помогли друзья, а на жизнь Елена зарабатывает, работая няней с 9 утра до 9 вечера.

Тренировки - ранним утром, в 5:30 Елена уже бежит. В 7 утра снова дома - готовит завтрак и собирает детей в школу. Потом работа, и только в 10 вечера она приезжает домой. Старшие дети помогают - присматривают за младшими, занимаются домашними делами, гуляют с собакой - хаски Боско, которого взяли из приюта.

"Утром, пока мама тренируется, мы спим, - говорит 11-летняя Антонина. - До обеда мы в школе, потом у нас тренировки - баскетбол или волейбол. Вечером делаем уроки".

При таком ритме жизни дела накапливаются. Приходится тратить на них все выходные, а в понедельник - снова на работу.

Но у Елены все равно получается тренироваться шесть дней в неделю и ездить на соревнования. Дети путешествуют вместе с ней.

"Каждый раз, провожая маму на забег, я безумно сильно горжусь и переживаю, так как понимаю, что это для неё значит", - рассказывает старшая дочь Елены, 22-летняя Кристина. Она, конечно, признает, что жить по маминому графику эмоционально тяжело.

"Тренировки отнимают значительную часть ее времени, которое можно было уделить нам, детям, но мы уважаем ее любовь к бегу и, благо, сами принимаем участие. Теперь это не только ее жизнь, а наша общая", - добавляет Кристина.

В 2018 году Елена заняла второе место на 80-километровой гонке Elton Ultra Trail вокруг соленого озера Эльтон в Волгоградской области, третье - в ночном соревновании Crazy Owl на 50 км в Ярославской области, и пришла второй на дистанции 107 километров в рамках Golden Ring Ultra Trail под Владимиром.

Но если сейчас участие в забегах Елена называет "кайфом", то в юности бег ей привлекательным не казался. Она пыталась заниматься легкой атлетикой в школе, но тогда она вызвала у нее отвращение - если не ненависть.

"Я пару раз ездила на городские (в детстве Елена жила в Санкт-Петербурге) соревнования по бегу - что-то я там занимала. Но меня прямо трясло от этого. Почему я должна бежать этот круг, 800 метров? Это бесконечность", - вспоминает она.

Monday, May 13, 2019

Führende Scientologen gehören zu den aktivsten Immobilienplayern der Stadt

Ein Firmengeflecht rund um die Swiss Immo Trust AG in Kaiseraugst war massgeblich an der Finanzierung der Scientology-Zentrale am Rande Basels beteiligt. Recherchen der TagesWoche zeigten, wie führende Personen in diesen Firmen mit ihren namhaften Spenden einen Grossteil des Sektentempels an der Burgfelderstrasse finanzierten.

Doch nicht nur innerhalb des Basler Ablegers von Scientology ist dieses Unternehmen eine relevante Grösse. Wie unsere Datenauswertung zeigt, gehört die Swiss Immo Trust zu den wichtigsten Akteuren im Geschäft der Umwandlung von Mietwohnungen in Stockwerkeigentum.

Die TagesWoche hat die im Kantonsblatt publizierten Handänderungen auf dem Basler Immobilienmarkt seit Mitte 2008 ausgewertet. Eine solche Transaktion beschreibt den Verkauf einer Immobilie. Naturgemäss geschieht dies bei der Umwandlung in Stockwerkeigentum in relativ kurzer Zeit gleich mehrfach. Ein Unternehmen kauft eine Liegenschaft auf, renoviert oder baut neu und bringt die Wohnungen daraufhin einzeln auf den Markt. Statt einem einzelnen Eigentümer gibt es nun viele verschiedene.

Umstrittenes Business
Dieses Business gilt deshalb als umstritten, weil dadurch sehr oft günstiger Wohnraum verloren geht. Bevor die Umwandlung in Wohneigentum möglich ist, müssen die bisherigen Mieter nämlich weichen.

Zwischen 2010 und 2014 war die Swiss Immo Trust an über 50 solcher Handänderungen beteiligt. Bei 43 davon ging es um Stockwerkeigentum, verteilt auf insgesamt fünf Bauprojekte. Die Liegenschaften befinden sich allesamt im Gebiet zwischen Schützenmatt- und Kannenfeldpark. Bei all diesen Projekten immer mit dabei: Rudolf Flösser, leitender Direktor von Scientology Basel.

Grösstes Projekt war die Überbauung zwischen der Türkheimerstrasse und dem Spalenring. Dort kaufte die Swiss Immo Trust zwei ältere Liegenschaften auf, um sie durch einen Neubau mit 21 Eigentumswohnungen zu ersetzen.

Das Projekt an der Türkheimerstrasse wurde von der
BW-Liegenschaftsverwaltung geleitet, die sich ebenfalls in den Händen einer Scientologin befindet.

Dies Leitung dieses Projekts oblag der BW-Liegenschaftsverwaltung GmbH, einer Firma von Brigitte Widmer – Scientologin und potente Spenderin für den Bau der Sektenzentrale. Die Wohnungen waren zuvor sehr günstig, eine 3-Zimmer-Wohnung kostete weniger als 1000 Franken.

Das Geschäft ging nicht reibungslos über die Bühne, weil sich einige der verbliebenen Mieter gegen ihre Kündigungen wehrten. Darunter zwei Gewerbler, eine Druckerei und ein Malergeschäft. Diese suchten Hilfe beim Mieterverband und erhoben Einsprache.

Eine erste Kündigung, ausgesprochen durch die Firma BW-Immobilientreuhand, ebenfalls aus dem Umkreis der Scientology, erfolgte zur Unzeit und wurde deshalb für ungültig erklärt. Das Bauprojekt in seiner ersten Version (hauptsächlich 1- und 2-Zimmer-Wohnungen) hielt der gerichtlichen Prüfung ebenso wenig stand und wurde für untauglich befunden. Die Mieter durften ein Jahr länger bleiben.

Nachträgliche Kosten
Unangenehm aufgefallen ist die Swiss Immo Trust auch auf dem Land. 2008 berichtete etwa der «Blick» von einer Überbauung in Therwil. Dort wurde sämtlichen 28 Mietparteien wegen Sanierungsbedarf gekündigt – ihre Wohnungen wurden danach während der Euro 08 aber für mehr als 400 Franken pro Tag an Fussballfans zwischenvermietet.

In einem anderen Fall in Oberwil kam es zwischen dem Unternehmen und
26 Käuferparteien von Eigentumswohnungen zu einem Streit wegen einer Rechnung von 600’000 Franken. Die Swiss Immo Trust wollte diese Anschlussgebühr für Wasser und Kanalisation nachträglich auf die Käufer überwälzen.

Diese gingen jedoch davon aus, dass diese Gebühren bereits im Kaufpreis enthalten gewesen waren. Erst nachdem wiederum die BaZ recherchiert hatte, zeigte sich die Swiss Immo Trust einsichtig und verzichtete auf die Forderung.

Wednesday, April 24, 2019

श्रीलंका में चरमपंथी हमले के पीछे किसका हाथ?

दस साल पहले गृहयुद्ध के ख़त्म होने के बाद श्रीलंका में हुए सबसे भयानक चरमपंथी हमले के पीछे किसका हाथ है ये रहस्य अब भी बना हुआ है.

हालाँकि तथाकथित इस्लामिक स्टेट ने अपने मीडिया पोर्टल 'अमाक़' पर इन हमलों की ज़िम्मेदारी क़बूल की है लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती क्यूंकि आम तौर से इस्लामिक स्टेट हमलों के बाद हमलावरों की तस्वीरें प्रकाशित करके हमलों की ज़िम्मेदारी तुरंत क़बूल करता है.

इस बात का कोई सबूत नहीं है कि श्रीलंका के हमलों के तीन दिन बाद किया गया इसका दावा सही है.

श्रीलंका सरकार ने एक स्थानीय जेहादी गुट- नेशनल तौहीद जमात- का नाम लिया है और अधिकारियों ने बम धमाके किसी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की मदद से कराए जाने की बात की है.

अब तक 38 लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं. इनमें से 26 लोगों को सीआईडी ने, तीन को आतंकरोधी दस्ते ने और नौ को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है.

गिरफ़्तार किए गए लोगों में से सिर्फ़ नौ को अदालत में पेश किया गया है. ये नौ लोग वेल्लमपट्टी की एक ही फ़ैक्ट्री में काम करते हैं.

भारत में दक्षिण एशिया के सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञों को अब तक सार्वजनिक की गयी जानकारी के आधार पर लगभग यक़ीन है कि हमलों की तारें किसी ग्लोबल इस्लामिक चरमपंथी संगठन से मिलती हैं और उनके विचार में इसके पीछे तथाकथित इस्लामिक स्टेट का हाथ हो सकता है.

अजय साहनी काउंटर-टेरोरिज़्म के विशेषज्ञ हैं. उनकी नज़र पूरे दक्षिण एशिया पर है. उनके अनुसार हमलों के स्केल, नियोजन और जटिलता को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि इसमें किसी वैश्विक इस्लामिक चरमपंथी संगठन का हाथ है.

वो कहते हैं, "इस समय इस्लामिक स्टेट और अल-क़ायदा और इनके सहयोगी संगठन ही इतने बड़े पैमाने पर हमला करने की क्षमता रखते हैं."

साहनी कहते हैं कि ये संगठन इन दिनों काफ़ी दबाव में हैं लेकिन इनका पूरी तरह से ख़ात्मा नहीं हुआ है. "इन हमलों की योजना उन्होंने काफ़ी पहले बनायी होगी जिसे अंजाम देने का समय अब आया हो."

चरमपंथी हमलों पर निगाह रखने वाले सुशांत सरीन एक वरिष्ठ आतंक-विरोधी एक्सपर्ट हैं. इन हमलों पर उनकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?

वो कहते हैं, "पहली सोच एलटीटीई की तरफ़ जाती है. लेकिन वो इसमें शामिल नहीं हो सकते क्यूंकि सरकार ने उनकी कमर तोड़ दी है और आज भी उनपर ख़ुफ़िया एजेंसियों की नज़र है."

सुशांत सरीन कहते हैं, "इसके बाद ध्यान जाता है स्थानीय चरमपंथियों पर. लेकिन वो इन घातक हमलों का आयोजन करने की क्षमता नहीं रखते. तो उनका भी पूरी तरह से हाथ नहीं हो सकता. हमलों को देखते हुए लगता है कि इसमें ग्लोबल इस्लामिक संस्थाओं का ही हाथ हो सकता है."

सरीन ईस्टर त्यौहार पर हुए हमलों में किसी स्थानीय संगठन का पूरी तरह से हाथ होने से इंकार भी नहीं करते. वो कहते हैं, "ये संभव है कि अधिकारियों की नज़रों से ओझल किसी स्थानीय संगठन ने इतनी बड़ी क्षमताएं पैदा कर ली हों और इन पर अमल किया हो."

श्रीलंका के अधिकारियों ने नेशनल तौहीद जमात, स्थानीय संगठन का इन हमलों में हाथ होने की आशंका जताई है लेकिन साथ ये भी कहा है कि इनकी मदद किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन ने की है.

सरीन कहते हैं कि फ़िलहाल किसी भी संभावनाओं को दरकिनार करना एक भूल होगी. वो आगे कहते हैं, "अगर ये काम केवल एक स्थानीय संगठन का है तो ये ज़्यादा ख़तरनाक है, ये एक गंभीर बात होगी और अधिकारियों के लिए चिंता का एक बड़ा विषय है. वे तबाही मचा सकते हैं."

श्रीलंका में अधिकारी इन हमलों की जांच कर रहे हैं. इसमें इन्हें एफ़बीआई का सहयोग हासिल है.

लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार देश भर में एक घंटे के अंदर हुए सिलसिलेवार चरमपंथी हमलों पर गहरी नज़र डालने से तथाकथित इस्लामिक स्टेट की छाप नज़र आती है.

इसकी योजना बहुत गहराई से बनाई गयी थी. मुंबई में 26 नवंबर 2008 की रात को हुए चरमपंथी हमले आपको याद होंगे जिसमें 166 लोग मारे गए थे?

समुद्र के रस्ते कराची से मुंबई आये 10 चरमपंथी दक्षिण मुंबई के पांच मशहूर लैंडमार्क पर हमले शुरू कर देते हैं. बताया जाता है कि तीन दिनों तक चले इस हमले की तैयारी में डेढ़ साल का समय लगा था.

इसकी जानकारी ख़ुद इसकी योजना में शामिल डेविड कोलेमन हेडली ने अमरीका की एक अदालत को दी थी. पाकिस्तान के अंदर हमले की योजना बनाने वालों ने पहले हेडली को मानसिक और शारीरिक ट्रेनिंग दी. इसके बाद 10 युवाओं को ट्रेनिंग दी गयी. हेडली ने मुंबई का कई चक्कर लगाया और उन जगहों को चुना जहाँ हमले किये जाने थे. और 18 महीने के बाद इस योजना को अंजाम दिया गया.

सुशांत सरीन कहते हैं कि आत्मघाती हमलावरों के एक गिरोह को मानसिक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से तैयार करने में महीनों लगे होंगे. श्रीलंका में हुए हमले में छह आत्मघाती हमलावर शामिल थे. ताक़तवर बम बनाने के लिए बहुत अनुभवी लोगों की ज़रुरत पड़ी होगी.

वो कहते हैं, "लोग कहते हैं इंटरनेट पर सर्च करके बम बनाया जा सकता है. लेकिन जिन घातक बमों का इस्तेमाल किया गया था उन्हें किसी अनुभवी शख़्स ने ही तैयार किया होगा."

शायद इसीलिए अजय साहनी का मानना है कि इस विशाल काम के लिए लोकल लोगों का इस्तेमाल तो किया गया होगा इसकी योजना स्थानीय लोगों की क्षमता से बाहर की बात है.

साहनी और सरीन दोनों इस बात से सहमत नज़र आते हैं कि इन हमलों में तथाकथित इस्लामिक स्टेट की छाप है. साहनी कहते हैं, "अगर आप इस्लामिक स्टेट के ज़रिए सीरिया और इराक़ में किये गए बड़े हमलों पर नज़र डालें तो श्रीलंका में हुए हमले अनोखे नहीं हैं. उनके लिए इस तरह के हमले आम बात हैं."

सरीन के अनुसार इस बड़े पैमाने पर हमले इस्लामिक स्टेट या अल-क़ायदा ही करा सकते हैं.

अपने तर्क के पक्ष में सरीन और साहनी दोनों इस बात की तरफ़ ध्यान दिलाते हैं कि श्रीलंका में हमले पश्चिमी देशों के ख़िलाफ़ थे.

सरीन कहते हैं, "ईसाई धर्म के धार्मिक स्थानों और पश्चिमी देशों से भरे पांच सितारा होटलों पर हमला करके इस्लामिक स्टेट ने अपने मुख्य दुश्मनों पर हमला किया है." उनके अनुसार अगर ये हमले बौद्ध धर्म के धार्मिक स्थानों पर किये जाते तो शायद इस्लामिक स्टेट पर शक नहीं होता.

श्रीलंका की पुलिस ने अब तक जिन गिरफ़्तार किए गए लोगों से पूछताछ की है उसका ख़ुलासा नहीं हुआ है लेकिन अधिकारियों ने इस बात की तरफ़ साफ़ इशारा किया है कि बाहर की ताक़तों ने लोकल लोगों का इस्तेमाल करके ये हमले कराये हैं.

Thursday, April 18, 2019

पीएम मोदी के हेलिकॉप्टर की जांच करने वाले अधिकारी निलंबितः पांच बड़ी ख़बरें

संबलपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हेलिकॉप्टर की कथित रूप से जांच करने के लिए निर्वाचन आयोग ने ओडिशा के जनरल पर्यवेक्षक को निलंबित कर दिया है.

ज़िला कलेक्टर और पुलिस महानिदेशक की रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने मंगलवार को हुई इस घटना के एक दिन बाद यानी बुधवार को जनरल पर्यवेक्षक को निलंबित किया.

आयोग के आदेश के अनुसार, कर्नाटक कैडर के 1996 बैच के आईएएस अधिकारी मोहम्मद मोहसिन ने एसपीजी सुरक्षा से जुड़े निर्वाचन आयोग के निर्देश का पालन नहीं किया.

संबलपुर में प्रधानमंत्री के हेलीकॉप्टर की जांच करना निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत नहीं था. एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों को ऐसी जांच से छूट प्राप्त होती है.

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ सीट पर गुरुवार को नामांकन भरेंगे. इसी सीट से बीजेपी के बहुचर्चित उम्मीदवार भी अपना नामांकन दाखिल करेंगे.

उत्तर प्रदेश की ही लालगंज लोकसभा सीट से सांसद और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रत्याशी नीलम सोनकर और कांग्रेस प्रत्याशी पंकज मोहन सोनकर भी अपना पर्चा दाखिल करेंगे.

बीजेपी के राजनाथ सिंह के ख़िलाफ़ समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार और बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा भी लखनऊ से अपना नामांकन भरेंगी.

गुरुवार से ही आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो रही है. पार्टी के मुताबिक, 18 अप्रैल को सबसे पहला नामांकन पश्चिमी दिल्ली प्रत्याशी बलवीर जाखड़ का होगा.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 के पांचवें दौर में जिन क्षेत्रों में छह मई को मतदान होना है वहां नामांकन की आखिरी तारीख़ 18 अप्रैल है.

तमिलनाडु में लोकसभा की 39 के साथ ही गुरुवार को विधानसभा की 18 सीटों पर उपचुनाव के लिए वोट भी डाले जा रहे हैं.

234 सदस्यीय तमिलनाडु विधानसभा में अभी कुल 216 विधायक हैं. सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के पास 116 जबकि विपक्ष द्रमुक के पास 97 विधायक हैं. विधानसभा में बहुमत के लिए 108 विधायकों की ज़रूरत है, लिहाजा यह 18 सीटों पर हो रहा यह उपचुनाव तमिलनाडु में वर्तमान सरकार के राजनीतिक भविष्य के लिहाज से बेहद अहम हैं.

18 सितंबर 2017 को दल बदल विरोधी क़ानून के तहत इन 18 सीटों के विधायकों की विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यता रद्द कर दी थी. जिसे इन विधायकों ने मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. लेकिन हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के फ़ैसले को बरकरार रखा था.

ओडिशा: महिला निर्वाचन अधिकारी की नक्सलियों ने की हत्या
ओडिशा के कंधमाल में एक महिला निर्वाचन अधिकारी की नक्सलियों ने हत्या कर दी. यहां गुरुवार को दूसरे चरण का मतदान होना है.

दिग्गल के नेतृत्व में पोलिंग पार्टी जब अपने गंतव्य की ओर जा रही थी, उसी समय गोछापाड़ा में बारूदी सुरंग विस्फोट हुआ. इसे देखते हुए पोलिंग पार्टी वहां रुक गई.

एक अधिकारी ने कहा कि इसके बाद नक्सलियों ने दिग्गल पर गोली चला दी. दिग्गल उस समय गाड़ी खड़ी करवाकर सड़क पर बाहर खड़ी थीं.

एक अन्य घटना में नक्सलियों ने फिरिंगिया के मुंगुनिपाड़ा में निर्वाचन अधिकारियों को ले जाने वाले एक वाहन में आल लगा दी थी.

उत्तर कोरिया का कहना है कि उसके शासक किम जोंग-उन की निगरानी में उन्होंने एक नए तरह के सामरिक हथियार का परीक्षण किया है जिसे युद्ध के समय इस्तेमाल किया जा सकता है.

देश की सरकारी एजेंसी के अनुसार किम जोंग उन ने कहा कि यह परीक्षण उत्तर कोरिया की बढ़ती सैन्य ताकत को दर्शाता है.

किम जोंग उन और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच सिंगापुर में हुई बेनतीजा बैठक के बाद उत्तर कोरिया ने यह पहला परीक्षण किया है.

Wednesday, April 10, 2019

奇人怪事:台湾女子左眼肿如鸡蛋惊现4只蜜蜂

清明节期间,台湾一名28岁的何姓女士跟随家人祭祖扫墓。但接下来发生的怪事确是一般人闻所未闻的。

何女士扫墓时用手清除荒草,突然觉得有东西飞进眼中。当时感觉可能是一些泥土残渣,令左眼睛感觉很不舒服。

几个小时后,何女士的眼睛丝毫没有好转,反而又红又肿,刺痛难忍。她不得不到台湾辅英科技大学附设医院去就医。

医生首先看到的是类似昆虫腿一样的黑影。医术娴熟的眼科医生竟然从她的眼睛中取出了4只小汗蜂(sweat bees,或叫Halictidae)。

这种小汗蜂非常小,喜欢吃人体排泄出的汗液以及眼泪中的蛋白,所以叫汗蜂。

更加神奇的是,医生把它们一个个取出时,它们都完好无缺,而且都活着。

经验丰富的洪姓(音译)眼科医生认为,这些汗蜂可能是当时被一股风吹进何女士眼中的,并且被困在眼中无法出来。

汗蜂通常不会攻击人。眼科医生称何女士非常“幸运”,因为她没有揉眼睛。

事发时何女士戴着隐形眼镜,尽管很难受但何女士不想把隐形眼镜揉破。

医生说,如果何女士使劲揉眼睛的话,很可能会导致汗蜂分泌毒液,发生严重感染甚至失明。

目前,何女士已经出院,视力完全恢复,一点问题也没有。

至于被取出来的小蜜蜂,它们被作为活标本送到有关部门做研究。

这也是台湾,甚至有可能是全球发生的一个首例奇异病例。

Tuesday, April 2, 2019

河北等10省(区)公开中央环保督察“回头看”整改方案

  中新网4月2日电 据生态环境部网站消息,经中央生态环境保护督察办公室协调,河北等10省(区)公开中央环境保护督察“回头看”及专项督察整改方案,方案共计确定了676项整改任务。

  经党中央、国务院批准,中央环境保护督察组于2018年5月至7月组织对河北、内蒙古、黑龙江、江苏、江西、河南、广东、广西、云南、宁夏等10省(区)开展中央环境保护督察“回头看”及专项督察,并于2018年10月完成督察反馈。反馈后,10省(区)党委、政府高度重视督察整改工作,认真研究制定整改方案。目前整改方案已经党中央、国务院审核同意。为回应社会关切,便于社会监督,压实整改责任,根据《环境保护督察方案(试行)》要求,经中央生态环境保护督察办公室协调,10省(区)统一对外全面公开督察整改方案。

  10省(区)督察整改方案均围绕中央环境保护督察组反馈意见研究确定整改任务和目标,共计确定676项整改任务,其中河北省57项,内蒙古自治区100项,黑龙江省60项,江苏省50项,江西省54项,河南省133项,广东省62项,广西壮族自治区45项,云南省58项,宁夏回族自治区57项。整改措施主要包括落实党中央、国务院关于生态文明建设和生态环境保护重大决策部署;优化空间和产业布局,调整产业结构和能源结构;打好污染防治攻坚战,着力解决大气、水、土壤、农村等突出环境问题;加强自然保护区管理和违规建设项目清理退出;推进生态环境保护体制改革等。保障措施主要有加强组织领导、强化督办落实、加大整改宣传、严肃责任追究等。整改方案还就每一项整改任务逐一明确责任单位、责任人、整改目标、整改措施和整改时限,实行拉条挂账、督办落实、办结销号,基本做到了可检查、可考核、可问责。

  生态环境部称,督察整改是环境保护督察重要环节,也是深入推进生态环境保护工作的关键举措。下一步,中央生态环境保护督察办公室将对各地整改情况持续开展清单化调度并对重点整改任务开展盯办,组织现场抽查,紧盯整改落实情况。同时督促地方利用“一台一报一网”(即省级电视台、党报、政府网站)作为主要载体,加强督察整改工作宣传报道和信息公开,对督察整改不力的地方和突出环境问题,将组织机动式、点穴式督察,始终保持督察压力,确保督察整改取得实实在在的效果。

Tuesday, March 26, 2019

博鳌论坛2019年年会发布四大学术报告

  3月26日,博鳌亚洲论坛2019年年会新闻发布会暨旗舰报告发布会在博鳌亚洲论坛新闻中心举行。南海网记者 刘洋摄

  3月26日,博鳌亚洲论坛2019年年会新闻发布会暨旗舰报告发布会在博鳌亚洲论坛新闻中心举行。南海网记者 刘洋摄

  南海网、南海网客户端博鳌3月26日消息(南海网记者 周静泊)3月26日举行的博鳌亚洲论坛2019年年会新闻发布会暨旗舰报告发布会,发布了《亚洲经济一体化报告》《新兴经济体报告》《亚洲竞争力报告》和《亚洲金融发展报告》四大学术报告。

  《亚洲经济一体化进程2019年度报告》指出,贸易摩擦使亚洲区域贸易自由化进程加快;东南亚引进外资保持强劲势头;亚洲进口转向快速增长。2018年前8个月,亚洲绝大多数重要经济体进口均取得两位数以上的增长,并超过13.4%的全球平均增长率,其中进口增长最快的是印尼和中国。

  中国社会科学院学部委员、中国社会科学院世界经济与政治研究所所长张宇燕(中)发言。南海网记者 刘洋摄

  《报告》认为,亚洲经济体出口中的国内增加值快速提升,中国对各国出口贡献的增加值最多。2017年,中国的增加值在几乎所有亚洲国家或地区制造业出口中所占比率居第一位,说明中国是亚洲制造业生产网络的中心。

  中国综合竞争力仍居亚洲经济体第9位

  《亚洲竞争力2019年度报告》报告研究团队分别从商业行政效率、基础设施状况、整体经济活力、社会发展水平、人力资本与创新能力五个方面剖析了各经济体的具体表现、优劣所在和动态演变。9年来,亚洲各经济体已开始初步享受到巨大的一体化红利,亚洲经济的成长和亚洲竞争力的提升,总体呈现稳中有进的良好态势,各经济体社会发展的稳定性和韧性不断提高,彼此之间的竞争力差距有缩窄迹象。

  对外经济贸易大学学术委员会主任委员、国家对外开放研究院执行院长林桂军(中)发言。南海网记者 刘洋摄

  《报告》显示,韩国、中国台湾、新加坡和中国香港综合竞争力居前4位,具有领先亚洲的国际竞争优势。日本、以色列、澳大利亚、新西兰、中国、阿联酋分列第5位至第10位。中国仍保持上年度第9位的排名,竞争地位稳固,商业行政效率和社会发展水平进步最大。

  2018年中国实际使用外资数额创历史新高

  《新兴经济体发展2019年度报告》指出,2018年,阿根廷、巴西、中国、印度、印度尼西亚、韩国、墨西哥、俄罗斯、沙特阿拉伯、南非和土耳其等“新兴11国”(E11)经济增长率略微放缓。据国际货币基金组织的估计数据加权计算,2018年E11的国内生产总值增长率约为5.1%,略低于上年5.2%的增长率。

  《报告》显示,2018年E11多数国家就业形势好转,收入水平呈改善势头,但物价有所上升,通胀压力加大。同时,贸易增长动力显著增强,外商直接投资逆势增长。例如,2018年中国实际使用外资1349.7亿美元,同比增长3%,创历史新高。

  《报告》认为,2019年,E11总体经济增速大幅波动的可能性较小,但仍面临较大的下行压力,考虑到各国将加强运用政策手段应对经济下行风险,2019年E11各国经济增速与2018年基本持平的可能性较大。

  东盟与中日韩宏观经济研究办公室首席经济学家许和意(右)发言。南海网记者 刘洋摄

  《报告》指出,亚洲地区对全球GDP增长的贡献率已接近60%,但亚洲的金融市场尚未成熟,需要进一步发展,以便活用各地区的超额储蓄,用于满足不断增长的基础设施投资需求。智能、绿色和可持续发展的基础设施建设是现在的亚洲所需要的。

Tuesday, March 12, 2019

भारतीय हवाई क्षेत्र में नहीं घुस पाएगा विमान

नागर विमान मंत्रालय ने भारतीय हवाई क्षेत्र में बोइंग 737 मैक्स के प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी है.

मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा है कि "आज शाम 4 बजे के बाद भारतीय हवाई क्षेत्र में किसी भी बोइंग 737 मैक्स मॉडल को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी."

इससे पहले मंत्रालय ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए देश से उड़ान भरने वाले सभी बोइंग 737 मैक्स विमानों पर रोक लगा दी थी.

अब मंत्रालय ने न सिर्फ़ देश के भीतर उड़ान भरने और विदेश से आने वाली बोइंग 737 मैक्स विमानों पर रोक लगाई है, बल्कि भारतीय वायु क्षेत्र से होकर एक देश से दूसरे देश जा रहे विमानों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी है.

इथियोपियन एयरलाइन्स के विमान के हादसे का शिकार होने के बाद ब्रिटेन, चीन और कई अन्य देशों ने बोइंग 737 मैक्स को प्रतिबंधित कर दिया था.

रविवार को हुए इस हादसे में 157 लोगों की जान गई थी. यह पांच महीने के अंदर 737 मैक्स 8 मॉडल से जुड़ा दूसरा विमान हादसा था.

इससे इतर अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि यह विमान सुरक्षित है.

हालांकि, यूएस एसोसिएशन ऑफ़ अटेंडेंट्स-CWA यूनियन ने संघीय उड्डयन प्रशासन से अपील की है कि सावधानी बरतते हुए अमरीका में 737 मैक्स विमानों की उड़ानों को अस्थायी रूप से रोक दिया जाए.

डीजीसीए ने बोइंग 737 मैक्स विमानों को यह कहते हुए तुरंत प्रतिबंधित करने का फ़ैसला किया है कि जब तक कि सुरक्षित उड़ानों के लिए उचित क़दम नहीं उठाए जाते और ज़रूरी सुधार नहीं किए जाते, तब तक विमानों को उड़ाया नहीं जाएगा.

यूरोपीय संघ एविएशन सेफ़्टी एजेंसी ने भी इसी तरह का फ़ैसला लिया है और कहा है कि उसने सावधानी बरतते हुए विमान पर रोक लगाई है.

दरअसल, बीते रविवार को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा से केन्या की राजधानी नैरोबी के लिए उड़ान भर रहा बोइंग 737 मैक्स विमान दुर्घटना का शिकार हो गया था.

पिछले साल अक्टूबर में लायन एयरलाइंस का बोइंग मैक्स विमान भी जकार्ता से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद हादसे का शिकार हो गया था और 189 लोगों की जान चली गई थी.

लायन एयरलाइंस ने इस विमान को हादसे से तीन महीने पहले ही अपने बेड़े में शामिल किया था.

बोइंग 737 मैक्स-8 का कमर्शियल इस्तेमाल 2017 में ही शुरू हुआ था और सुरक्षा को लेकर कंपनी ने बड़े-बड़े दावे भी किए थे.

कंपनी यह दावा करती है कि इसमें लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो अपने यात्रियों को बेहतर सफ़र का अनुभव कराता है और लंबी दूरी तय कर सकता है.

यह विमान छोटे शहरों को दुनिया के बड़े शहरों से सीधे जोड़ सकता है. बिना कनेक्टिंग फ्लाइट के यह एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप और अटलांटिक महासागर को पार कर सकता है.

भारत में कौन करता था इसका इस्तेमाल

बोइंग 737 मैक्स मॉडल का इस्तेमाल भारत की दो विमानन कंपनियां करती हैं. स्पाइस जेट और जेट एयरवेज़.

स्पाइस जेट 737 मैक्स 8 का इस्तेमाल करती है और हर साल ईंधन ख़र्च में 15 लाख डॉलर की बचत करने का अनुमान लगाया था.

Thursday, February 21, 2019

杨凤兰走私案:坦桑尼亚判“象牙女王”监禁15年

坦桑尼亚最大城市达累斯萨拉姆一所法院经过三年多审理,裁定有“象牙女王”之称的中国女商人杨凤兰走私等罪成立,判处有期徒刑15年,充公个人全部财产。

杨凤兰被控在2000至2014年间,从坦桑尼亚向远东地区出口800件象牙产品,约400头大象在此过程中被屠杀。案件涉及金额达250万美元。

执法部门相信杨凤兰操控着非洲最大的走私象牙团伙。两名涉案的坦桑尼亚男子星期二(2月19日)同被判处各15年监禁。

专门关注濒危物种的国际自然保护联盟(IUCN)指出,偷猎象牙行为导致非洲大象数目于过去10年下跌20%至41.5万头。中国与东亚对象牙珠宝与装饰品的需求被认为是让象牙走私活动屡禁不止的原因之一。

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肯尼亚非政府组织野生动物指导(WildlifeDirect)法务经理卡拉尼(Jim Karani)是非洲首位野生动物保护法律专家。他对BBC记者表示欢迎这次判决。

卡拉尼对BBC说:“我们认为这是一次重大警告,让每一个走私野生动物分子知道,要是你犯下这种罪行,你终会被发现、抓捕和起诉,你终会被判以重刑。对你和你所拥有的一切造成莫大损失。”

中国外交部发言人耿爽星期三(20日)说:“中国政府一贯要求海外中国公民遵守当地法律法规,不袒护中国公民的违法犯罪行为。我们支持坦桑尼亚有关部门依法、公正查处和审理此案。”

“中方愿同包括坦桑尼亚在内的国际社会一道,继续为保护濒危野生动植物和遏制非法贸易作出贡献。”

法新社引述辩护律师说,杨凤兰等三名被告均会上诉。

谁是杨凤兰?
杨凤兰来自北京,是中国第一批斯瓦西里语专业的大学生,40年前被分配到坦桑尼亚担任中国援建坦赞铁路工程的翻译员。

英文《中国日报》曾报道,杨凤兰1970年代首次前往坦桑尼亚,坦赞铁路1975年完工之后,杨凤兰返回北京,在原对外贸易部(今商务部)工作,1998年重返坦桑尼亚从商。

杨凤兰在达累斯萨拉姆市中心租用了一幢两层建筑,在一楼开了一家中餐馆,在二楼成立了北京长城投资公司。

2012年,杨凤兰成为坦桑尼亚中非民间商会秘书长,之后更当上副主席。她的女儿杜非曾对BBC记者说,母亲热爱坦桑尼亚,不可能参与非法勾当。

然而,坦桑尼亚国家和跨国重罪调查组对其追查一年多,于2015年10月在一次高速追车行动中将其逮捕。

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中国舆论对坦桑尼亚的判决有何反应?
杨凤兰被捕后,中共《人民日报》旗下《环球时报》曾替其喊冤,质疑整案是坦桑尼亚当局在选举前夕的图谋。

这篇2015年10月的报道称:“在案情没有大白前,先将杨凤兰妖魔化成‘象牙女王’,并且选择这样一个微妙的时机,显然是有复杂背景的。透过西方媒体跟风炒作的不遗余力,以及‘大象行动联盟’等非政府组织的幸灾乐祸,不难看出他们到底想要什么。”

达累斯萨拉姆法院判刑后,《环球时报》网站只简要编译了法新社的报道。该报继而报道了中国外交部对判决的回应。

《环球时报》报道下方的网民评论也一面倒的支持判决,甚至要求更重判刑。一位江苏网民留言称:“败坏中国人形象,活该。”

Thursday, February 14, 2019

पुलवामा में CRPF के काफिले पर हमला करने वाला चरमपंथी कौन?

भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए एक आत्मघाती हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के 40 जवानों की मौत हो गई.

इस चरमपंथी हमले की ज़िम्मेदारी चरमपंथी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली है.

खबरों में कहा जा रहा है कि इस आत्मघाती हमले के ज़िम्मेदार 21 साल के आदिल अहमद थे.

आदिल अहमद पुलवामा के पास ही गुंडीबाग के रहने वाले थे और कहा जा रहा है कि पिछले साल ही वो जैश ए मोहम्मद में शामिल हुए थे.

आत्मघाती हमला जिस जगह हुआ वो राजधानी श्रीनगर से दक्षिण में लगभग 25 किलोमीटर दूर है और अगर आदिल के गांव की बात करें तो घटनास्थल से ये तकरीबन 15 किलोमीटर दूर है.

गुरुवार को विस्फोटकों से भरी एक स्कॉर्पियो कार ने सीआरपीएफ़ के काफिले में चल रही एक बस को टक्कर मार दी थी. इस कार में 350 किलोग्राम विस्फोटक भरा हुआ बताया जा रहा है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक धमाके की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि इसे कई किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता था.

आत्मघाती हमला
1998 में करगिल युद्ध के बाद जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने कई आत्मघाती हमले किए थे.

लेकिन ये आत्मघाती बम हमला करने वाले चरमपंथी पाकिस्तानी नागरिक हुआ करते थे. यह पहला मौक़ा है जब जैश ने दावा किया है कि पुलवामा के स्थानीय लड़के आदिल उर्फ़ वक़ास कमांडो ने ये आत्मघाती हमला किया.

यह हमला इतना ख़तरनाक था कि इसकी चपेट में आई एक बस लोहे और रबर के ढेर में तब्दील हो गई है. इस बस में कम से कम 44 सीआरपीएफ़ के जवान सवार थे.

आदिल के पिता ग़ुलाम हसन डार फेरी कर कपड़े बेचने का काम करते हैं और साइकिल पर घर-घर जाकर कपड़े बेचते हैं. आदिल के परिवार में पिता के अलावा उनकी माँ और दो और भाई भी हैं.

कहा जा रहा है कि आदिल मार्च 2018 में जैश ए मोहम्मद में भर्ती हुए. उस वक्त वह बारहवीं कक्षा के छात्र थे.

दक्षिण कश्मीर इलाके में पिछले एक साल में चरमपंथियों के ख़िलाफ़ सुरक्षा बलों ने कई बड़े अभियान छेड़े हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक साल 2018 में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के अभियान में 230 चरमपंथियों की मौत हुई. भारतीय सुरक्षा अधिकारियों ने ये भी दावा किया था कि इन अभियानों के बावजूद कश्मीर घाटी में अब भी लगभग 240 चरमपंथी सक्रिय हैं.

पुलिस सूत्र ये भी बताते हैं कि आदिल का चचेरा भाई समीर अहमद भी चरमपंथी है और आदिल के जैश ए मोहम्मद में शामिल होने के एक दिन बाद ही समीर भी जैश में शामिल हो गए.

समीर ने कश्मीर यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई छोड़कर चरमपंथी संगठन का दामन थामा था.

आदिल के गांव गुंडीबाग में तीन बार नमाज ए जनाज़ा पढ़ा गया. इस दौरान वहाँ भारी तादाद में लोग इकट्ठा थे.

आदिल ने आत्मघाती हमले से पहले एक वीडियो भी बनाया था. इस हमले में उसने आत्मघाती हमला करने की बात कही थी. इसके अलावा आदिल अहमद का एक फोटो भी सामने आया है.

Thursday, February 7, 2019

पाकिस्तान के मीडिया से पश्तून आंदोलन ग़ायब, कश्मीर पर हो रही बात

पाकिस्तान में कुछ प्रदर्शन अख़बारों की सुर्खियों में जगह पाते हैं और कुछ नहीं, ऐसा क्यों होता है?

बीबीसी संवाददाता एम इलियास ख़ान ने मानवाधिकारों के हनन से जुड़ी एक कहानी की पड़ताल की, जिसे मीडिया बताना नहीं चाहता और अधिकारी उस पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं.

पाकिस्तान का मीडिया अब सरकारी नीतियों के मौलिक विरोधाभास को रिपोर्ट करने के लिए संघर्ष कर रहा है.

इस बार इस्लामाबाद के राष्ट्रीय प्रेस क्लब के बाहर यह ज़्यादा देखने को मिला. यहां सैकड़ों की संख्या में प्रतिबंधित चरमपंथी समूह से जुड़े धार्मिक मदरसों के छात्र प्रदर्शन कर रहे थे.

क्लब के बाहर एक बड़ा सा मैदान है, जहां अक्सर प्रदर्शनकारी जुटते हैं और अपनी आवाज़ बुलंद करते हैं.

छात्र यहां कश्मीर दिवस के मौके पर इकट्ठा हुए थे. भारत प्रशासित कश्मीर में सैन्य बलों द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के हनन को चिह्नित करने के लिए हर साल पाकिस्तान में कश्मीर दिवस मनाया जाता है. इस दिन यहां सरकारी छुट्टी होती है.

लेकिन कश्मीर रैली के दौरान पाकिस्तान की पुलिस उन युवाओं को चिह्नित और गिरफ़्तार करने में व्यस्त थी, जो उसी जगह पर आयोजित होने वाली दूसरी रैलियों के लिए आए थे.

इन युवाओं का संबंध किसी चरमपंथी संगठन से नहीं था. ये दक्षिणपंथी अभियान से जुड़े थे, जो अफ़ग़ानिस्तान सीमा से सटे पश्तून इलाक़ों में पाकिस्तान सेना द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के हनन के ख़िलाफ़ हल्ला बोलने आए थे.

बीते मंगलवार की शाम तक पुलिस ने पश्तून तहफ़्फ़ुज़ आंदोलन से जुड़े 30 से ज़्यादा कार्यकर्ताओं गिरफ़्तार कर लिया और उन्हें एक ट्रक में भर कर थाने ले गई.

वहां मौजूद मीडिया ने हर एक गिरफ़्तारी को अपने कैमरे में क़ैद किया लेकिन ये तस्वीरें न तो टीवी पर ब्रेक हुईं और न ही अगले दिन अख़बारों की सुर्खियां बनीं.

पाकिस्तान के छह क़बायली ज़िले अब अफ़ग़ानिस्तान से भागे तालिबानी लड़ाकों का आसरा गृह बन गए हैं. ये लड़ाके 9/11 के हमले के बाद अफ़ग़ानिस्तान पर अमरीकी आक्रमण के बाद वहां से भागे थे.

कई लोगों का कहना है कि इन ज़िलों के तालिबानीकरण की अनुमति पाकिस्तान सरकार की एक नीति के तहत दी गई थी, जिससे अफ़ग़ानिस्तान को भारत का मज़बूत सहयोगी बनने से रोका जाए.

बाद में तालिबान की गुटबंदी ने पाकिस्तानी सेना को क़बायली प्रतिद्वंदियों में बदल दिया, जिसके बाद सेना और उनके बीच संघर्ष की स्थिति बन गई.

इनके बीच हुए संघर्षों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई मामले सामने आए. हज़ारों नागरिक मारे गए. 30 लाख से ज़्यादा लोग एक से ज़्यादा बार विस्थापित होने को मजबूर हुए.

यह कई सालों तक चलता रहा. पिछले साल पश्तून तहफ़्फ़ुज़ आंदोलन ने ऐसे मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को सूचीबद्ध किया, जिसे सेना और तालिबान ने अंज़ाम दिया था.

ऐसे मामलों को मीडिया में कवरेज भी मिला, लेकिन पिछले साल जून के बाद मीडिया पर कथित रूप से सेना ने दबाव डालना शुरू किया और पश्तून तहफ़्फ़ुज़ आंदोलन को कवरेज देने से मना किया जाने लगा.

धीरे-धीरे मामलों के विश्लेषण और कवरेज मीडिया से गायब होने लगे, न सिर्फ छोटे अख़बार या टीवी से बल्कि बड़े मीडियाघरानों ने भी इस पर चुप्पी साध ली.

कई कहते हैं पश्तून तहफ़्फ़ुज़ आंदोलन मीडिया स्क्रीन से पूरी तरह ग़ायब हो गया है.

सरकार यहीं नहीं रुकी, वो आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं पर भी कार्रवाई करने लगी. उन्हें गिरफ़्तार किया जाने लगा और वो इस बात से आश्वस्त हैं कि इसका कोई भी कवरेज मीडिया में नहीं आएगा.

बीते सप्ताह बलूचिस्तान में पश्तून आंदोलन पर कार्रवाई के दौरान एक बड़े कार्यकर्ता की मौत हो गई थी.

इसी के ख़िलाफ़ मंगलवार को प्रेस क्लब के बाहर पश्तून तहफ़्फ़ुज आंदोलन के मुखिया मंज़ूर पस्तीन ने विरोध प्रदर्शन किया था.

Monday, January 28, 2019

तुलसी गबार्ड ने कहा- मीडिया ने मुझे और समर्थकों को धार्मिक पक्षपात का शिकार बनाया

अमेरिका में अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारी पेश करने वाली डेमोक्रेट्स तुलसी गबार्ड ने मीडिया पर “धार्मिक पक्षपात’’ का आरोप लगाया। अमेरिकी की पहली हिंदू सांसद तुलसी ने कहा कि उनके नाम के कारण समर्थकों और दानदाताओं पर हिंदू राष्ट्रवादी होने का आरोप लगा रहा है। तुलसी ने रविवार को धार्मिक समाचार सेवा के लिए लिखे संपादकीय में यह बात कही।

मोदी से मुलाकात को लेकर निशाना बनाया जा रहा
तुलसी 2013 से अमेरिका के हवाई राज्य से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट सांसद हैं। उन्होंने कहा, “मैं पहली हिंदू-अमेरिकी हूं, जिसे कांग्रेस में चुना गया और अब राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए पेश किया गया। इस पर मुझे गर्व है।”

तुलसी ने 11 जनवरी को अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया था। अगर वे डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ डेमोक्रेट उम्मीदवार चुनी जाती हैं और चुनाव जीतती हैं, तो अमेरिका की सबसे युवा और पहली महिला राष्ट्रपति होंगी। तुलसी अमेरिका की पहली गैर-ईसाई और पहली हिंदू राष्ट्रपति भी होंगी।

उन्होंने कहा, “भारत में लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी मुलाकात को लेकर भी बार-बार मुझे निशाना बनाया जा रहा। जबकि राष्ट्रपति (बराक) ओबामा, मंत्री (हिलेरी) क्लिंटन, राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप और कांग्रेस के मेरे कई साथी मोदी से मुलाकात और उनके साथ काम कर चुके हैं।”

तुलसी ने पूछा कि आज यह मेरे साथ हो रहा है कल मुस्लिम या यहूदी अमेरिकी के साथ होगा। या फिर जापानी, लैटिन अमेरिका या अफ्रीकी अमेरिकी के साथ भी हो सकता है।

प्राइमरी चुनावों में जीत जरूरी
राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के लिए तुलसी को प्राइमरी चुनावों में जीत हासिल करनी होगी। उनका मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी के कम से कम 12 सांसदों के साथ होगा। उनसे पहले डेमोक्रेटिक सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन भी दावेदारी पेश कर चुकी हैं। भारतीय मूल की कमला हैरिस (54) भी दावेदारों की दौड़ में शामिल हैं।

तुलसी ने गीता के नाम पर शपथ ली थी
37 साल की तुलसी का जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनकी मां कॉकेशियन हिंदू हैं। इसी के चलते तुलसी गबार्ड शुरुआत से ही हिंदू धर्म की अनुयायी रही हैं। सांसद बनने के बाद तुलसी पहली सांसद थीं, जिन्होंने भगवत गीता के नाम पर शपथ ली थी।

Thursday, January 17, 2019

ऋषभ पंत के साथ नज़र आ रही लड़की कौन है

भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा युवा सितारों में जिस खिलाड़ी की चर्चा सबसे ज़्यादा होती है उनमें ऋषभ पंत का नाम ज़रूर शामिल किया जाता है.

21 साल के ऋषभ का मैदान के भीतर का अंदाज़ जितना आक्रामक और निराला है, उतने ही बिंदास वे मैदान के बाहर भी नज़र आते हैं.

टीम इंडिया का यह युवा विकेटकीपर ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़ में प्रभावशाली प्रदर्शन करने के बाद फ़िलहाल वनडे मुकाबलों से बाहर है.

ऋषभ ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वनडे टीम में नहीं हैं लेकिन टीम से बाहर होने का यह मतलब नहीं कि पंत खबरों से भी बाहर हो जाएं.

विस्फोटक बल्लेबाज़ पंत ने एक तस्वीर इंस्टाग्राम पर साझा की है. इस तस्वीर में पंत एक लड़की के साथ नज़र आ रहे हैं.

पोस्ट के साथ पंत ने लिखा है, ''मैं बस तुम्हें खुश रखना चाहता हूं क्योंकि तुम ही मेरी खुशी का राज़ हो.''

पंत की इस पोस्ट के बाद यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि तस्वीर में दिख रही लड़की उनकी गर्लफ्रेंड हो सकती है.

जिस लड़की के साथ पंत ने तस्वीर साझा की है उनका नाम ईशा नेगी है.

ईशा ने भी वही तस्वीर अपने इंस्टाग्राम पर शेयर की है.

हालांकि ईशा ने अपनी पोस्ट के साथ जो कैप्शन लिखा है वह इन दोनों के रिश्ते को और ज़्यादा साफ करता है.

ईशा ने लिखा है, ''माय मैन, माय सोलमेट और मेरे सबसे अच्छे दोस्त, मेरा प्यार.''

ईशा के फ़ेसबुक अकाउंट के अनुसार वे देहरादून की रहने वाली हैं. देहरादून के जीसस एंड मैरी कॉन्वेंट स्कूल से उन्होंने पढ़ाई की है.

फिलहाल वे नोएडा स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में ग्रैजुएशन कर रही हैं.

इसके साथ ही ईशा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा है कि वे इंटीरियर डिज़ाइनिंग के क्षेत्र में भी हाथ आजमा रही हैं.

अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट में ईशा ने बताया है कि उन्हें हाइड्रोफोबिया है. हाइड्रोफोबिया का मतलब होता है पानी से डर लगना.

इस पोस्ट में उन्होंने स्वीमिंग पूल के पास खड़े होकर कुछ तस्वीरें खिंचवाई हैं.

अपनी अधिकतर तस्वीरों में ईशा अकेली ही नज़र आ रही हैं.

ऋषभ पंत हाल ही ऑस्ट्रेलिया में खेली गई चार मैचों की टेस्ट सिरीज़ के दौरान काफ़ी चर्चा में रहे.

पंत ने यहां विकेटकीपिंग के अलावा बल्ले से भी महत्वपूर्ण योगदान दिया.

सिडनी टेस्ट में उन्होंने बेहतरीन 159 रनों की पारी खेली. इस टेस्ट सिरीज़ में पंत चेतेश्वर पुजारा के बाद दूसरे सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बने.

जहां तक पंत के निजी जीवन की बात है. वे मूलतः उत्तराखंड के हरिद्वार ज़िले के रहने वाले हैं.

पहाड़ी परिवार में जन्में पंत ने अपनी शुरुआती शिक्षा रुड़की शहर से पूरी की इसके बाद क्रिकेट में करियर बनाने के मकसद से उन्होंने दिल्ली का रुख किया.

ऋषभ पंत ने भारत की अंडर-19 टीम में अपने प्रदर्शन के दम पर आईपीएल फ्रेंचाइजी दिल्ली डेयरडेविल्स का ध्यान अपनी ओर खींचा.

आईपीएल के रास्ते ही पंत को भारतीय टीम में भी जगह मिली.

फिलहाल पंत को धोनी के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है.

उनकी आक्रामकता और विकेटकीपिंग को देखते हुए पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग उन्हें महान विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट के समान बता चुके हैं.

कहा जा सकता है कि क्रिकेट की पिच सरपट दौड़ते पंत ने अब दुनिया को अपने 'लेडी लक' के बारे में बता दिया है.

Wednesday, January 9, 2019

दिल्ली में गायों के लिए पीजी हॉस्टल: आज की पाँच बड़ी ख़बरें

दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय के मुताबिक यहां उनके खाने-पीने से लेकर देखभाल की सभी सुविधाएं होंगी. हॉस्टल की सुविधा के लिए गाय के मालिक को पैसा देना होगा. सभी गायों और पालतू पशुओं की सेहत पर निगरानी रखने के लिए उन पर माइक्रोचिप लगाई जाएंगी. सभी 272 वार्ड्स में पशु अस्पताल भी खोले जाएंगे.

घुम्मन हेड़ा गांव में 18 एकड़ जमीन पर गौशाला के साथ वृद्धा आश्रम बनाया जाएगा. जहां बुजुर्ग, गायों की सेवा कर सकेंगे.

आम चुनावों से पहले तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी को बड़ा झटका लगा है. पश्चिम बंगाल के विष्णुपुर से सांसद सौमित्र ख़ान बुधवार को भाजपा में शामिल हो गए. कहा जा रहा है कि बोलपुर के सांसद अनुपम हज़रा भी जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.

तृणमूल कांग्रेस से ही भाजपा में आये वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय ने पीटीआई से कहा, ''यह तो शुरूआत है. कई नेता कतार में हैं. देखते जाइए.''

लोकसभा में पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में तृणमूल की सीटों की संख्या अब कम होकर 33 हो गई है. ख़ान पहले कांग्रेस में थे और 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले 2013 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे. तब भी मुकुल रॉय ने उन्हें तृणमूल कांग्रेस में लाने में अहम भूमिका निभाई थी. रॉय उस समय तृणमूल कांग्रेस के महासचिव थे. रॉय 2017 में भाजपा में शामिल हो गये थे.

संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी यानी सीसीपीए की बैठक में फ़ैसला लिया गया है कि अंतरिम बजट 1 फ़रवरी को पेश किया जाएगा, और संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से 13 फ़रवरी तक चलेगा.

यह बजट सरकार के लिए इस लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चुनाव से पहले कुछ लोकप्रिय घोषणाएं की जा सकती हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद में अपना बचाव करने के लिए 'एक महिला' को आगे किया है क्योंकि वह खुद अपना बचाव नहीं कर सकते.

उनकी इस टिप्पणी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और विपक्ष पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का अपमान करने का आरोप लगाया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को जयपुर में आयोजित किसान रैली में कहा था कि 56 इंच का सीना रखने वाला चौकीदार भाग गया और एक महिला सीतारमण जी से कहा कि मेरा बचाव कीजिए. मैं अपना बचाव नहीं कर सकता, मेरा बचाव कीजिए.

मोदी ने भी एक जनसभा में राहुल गांधी पर हमला किया. उन्होंने कहा कि अब विपक्ष एक महिला का अपमान करने पर उतारू हो गया है. उन्होंने राहुल की टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए कहा, "यह देश की महिलाओं का अपमान है."

उन्होंने कहा कि सीतारमण ने रफ़ाल सौदे पर जोरदार तरीके से जवाब दिया है और अब कांग्रेस को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए.

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अमरीका में तीन हफ्ते से चल रहे शटडाउन पर डेमोक्रेट्स नेताओं के साथ बातचीत नहीं की और बैठक से बाहर चले गए.

ट्रंप मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के लिए फंड की मांग कर रहे हैं. इसके लिए उनकी रिपब्लिकन अध्यक्ष नेंसी पेलोसी और चक शूमर से बातचीत चल रही थी, लेकिन ट्रंप ने इस बैठक को यह कहकर ख़ारिज कर दिया कि "ये समय की बर्बादी है."

अमरीका में तीन हफ्ते पहले शुरू हुए शटडाउन के बाद तकरीबन आठ लाख कर्मचारी पहली बार बिना तनख्वाह के रहेंगे.