Monday, January 28, 2019

तुलसी गबार्ड ने कहा- मीडिया ने मुझे और समर्थकों को धार्मिक पक्षपात का शिकार बनाया

अमेरिका में अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारी पेश करने वाली डेमोक्रेट्स तुलसी गबार्ड ने मीडिया पर “धार्मिक पक्षपात’’ का आरोप लगाया। अमेरिकी की पहली हिंदू सांसद तुलसी ने कहा कि उनके नाम के कारण समर्थकों और दानदाताओं पर हिंदू राष्ट्रवादी होने का आरोप लगा रहा है। तुलसी ने रविवार को धार्मिक समाचार सेवा के लिए लिखे संपादकीय में यह बात कही।

मोदी से मुलाकात को लेकर निशाना बनाया जा रहा
तुलसी 2013 से अमेरिका के हवाई राज्य से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट सांसद हैं। उन्होंने कहा, “मैं पहली हिंदू-अमेरिकी हूं, जिसे कांग्रेस में चुना गया और अब राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए पेश किया गया। इस पर मुझे गर्व है।”

तुलसी ने 11 जनवरी को अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया था। अगर वे डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ डेमोक्रेट उम्मीदवार चुनी जाती हैं और चुनाव जीतती हैं, तो अमेरिका की सबसे युवा और पहली महिला राष्ट्रपति होंगी। तुलसी अमेरिका की पहली गैर-ईसाई और पहली हिंदू राष्ट्रपति भी होंगी।

उन्होंने कहा, “भारत में लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी मुलाकात को लेकर भी बार-बार मुझे निशाना बनाया जा रहा। जबकि राष्ट्रपति (बराक) ओबामा, मंत्री (हिलेरी) क्लिंटन, राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप और कांग्रेस के मेरे कई साथी मोदी से मुलाकात और उनके साथ काम कर चुके हैं।”

तुलसी ने पूछा कि आज यह मेरे साथ हो रहा है कल मुस्लिम या यहूदी अमेरिकी के साथ होगा। या फिर जापानी, लैटिन अमेरिका या अफ्रीकी अमेरिकी के साथ भी हो सकता है।

प्राइमरी चुनावों में जीत जरूरी
राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के लिए तुलसी को प्राइमरी चुनावों में जीत हासिल करनी होगी। उनका मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी के कम से कम 12 सांसदों के साथ होगा। उनसे पहले डेमोक्रेटिक सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन भी दावेदारी पेश कर चुकी हैं। भारतीय मूल की कमला हैरिस (54) भी दावेदारों की दौड़ में शामिल हैं।

तुलसी ने गीता के नाम पर शपथ ली थी
37 साल की तुलसी का जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनकी मां कॉकेशियन हिंदू हैं। इसी के चलते तुलसी गबार्ड शुरुआत से ही हिंदू धर्म की अनुयायी रही हैं। सांसद बनने के बाद तुलसी पहली सांसद थीं, जिन्होंने भगवत गीता के नाम पर शपथ ली थी।

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