चुनाव के दौरान किसी भी पार्टी के लिए यह आम प्रक्रिया होती है कि वो घोषणापत्र के ज़रिए जनता को अपनी भावी योजनाओं और पेशकशों के बारे में बताए.
लेकिन, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएमआईएम) के मामले में ऐसा नहीं है. एमआईएमआईएम को ज़्यादातर लोग एमआईएम कहते हैं.
एमआईएमआईएम 90 साल पुरानी पार्टी है लेकिन इसके पास अपना घोषणापत्र नहीं है. इस पार्टी का मुख्य कार्यालय हैदराबाद, तेलंगाना में है.
7 दिसंबर, 2018 को तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनावों में इसके उम्मीदवार बिना घोषणापत्र के मैदान में खड़े हैं.
चुनाव आयोग ने एआईएमआईएम को क्षेत्रीय पार्टी की मान्यता दी है और अभी तक इसने अपना घोषणापत्र जारी नहीं किया है.
झूठे वादों पर यक़ीन नहीं
घोषणापत्र जारी न करने को लेकर पार्टी के नेताओं का कहना है कि पार्टी लोगों की भलाई के लिए काम करने पर भरोसा करती है न कि घोषणापत्र जारी के करके झूठे वादे करने में.
ओवैसी कहते हैं, ''हमें अपने कामों के ज़रिए पहचान मिलेगी न कि काग़ज़ों पर योजनाएं बनाकर. राजनीतिक दल लोगों को धोखा देने के लिए घोषणापत्र का इस्तेमाल करते हैं इसलिए हम उन पर भरोसा नहीं करते.''
इसी सवाल पर एमआईएम के नेता शरत नालिगंती कहते हैं, ''जब हम लोगों के बीच रहते हैं और उनके कल्याण के लिए काम करते हैं तो घोषणापत्र की क्या ज़रूरत है.''
बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, ''हमारी पार्टी की नीति झूठे आश्वासन देना और बाद में उन्हें पूरा न कर पाने पर लोगों से भागना नहीं है.''
शरत नालिगंती ने साल 2014 के चुनावों में अंबर पेटी से बीजेपी अध्यक्ष किशन रेड्डी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा था.
पार्टी के विधायक, सांसद, कॉरपोरेटर्स और कार्यकर्ता विभिन्न मुद्दों पर लोगों की समस्याएं सुनने के लिए हैदराबाद के दारुस्सलाम में स्थित पार्टी कार्यालय में मौजूद रहते हैं. यह कार्यालय हफ़्ते में छह दिन खुला रहता है.
हिंदू विरोधी होने से इनकार
शरत कहते हैं कि एमआईएम ने उन्हें पार्टी की तरफ़ से चुनाव लड़ने का मौक़ा दिया है और पार्टी राजनीति के बजाए लोगों को महत्व देती है.
वह दावा करते हैं कि एमआईएम हिंदू विरोधी पार्टी नहीं है और ये असल में कमज़ोर वर्ग के लोगों के लिए काम करती है.
उन्होंने ये भी बताया कि एमआईएम ने हिंदू उम्मीदवारों को भी कई बार टिकट दिया है. इनमें प्रकाश राव, ए सत्यनारायण और हैदराबाद के मेयर रह चुके अलमपल्ली पोचया शामिल हैं. उन्होंने ख़ासतौर पर बताया कि अलमपल्ली पोचया दलित हैं.
एमआईएम ने विधानसभा चुनावों के दौरान भी कई हिंदू नेताओं को टिकट दी है. नवीन यादव, शरत नालिगंती, मुरलीधर रेड्डी ने एमआईएम की तरफ़ से विधानसभा चुनाव लड़ा था.
Monday, November 26, 2018
Tuesday, November 13, 2018
परिवार के झगड़ों या नेताओं की नाराजगी से कट गए बड़े अंतर से जीतीं महिला एमएलए के टिकट
पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा की महिला विधायकों का जीत का प्रतिशत बेहतरीन था। 25 महिलाओं को टिकट दिए जिनमें से 23 जीतकर आईं। मौजूदा चुनावों के लिए जारी 131 प्रत्याशियों की पहली सूची में सिर्फ 15 महिलाओं को टिकट दिया गया, पांच के टिकट काटे गए और छह पर संशय है। टिकट कटने और अटकने की बड़ी वजह परिवार के झगड़े और बड़े नेताओं की नाराजगी को बताया जा रहा है। पुरुष विधायकों की तरह अपने टिकट के लिए लाबिंग करने में भी ये पीछे रह गईं।
तीन के टिकट पुरुषों को मिले
जिन महिला विधायकों के टिकट काटे गए उनमें से तीन के टिकट पुरुषों को मिले हैं। इसमें अमृता मेघवाल का टिकट जोगेश्वर गर्ग, द्रोपदी मेघवाल का धर्मेंद्र मोची, अनिता कटारा का शंकरलाल देथा को दिया गया है। वहीं बाड़मेर से चुनाव हार चुकी प्रियंका का टिकट कर्नल सोनाराम तथा सोजत से संजना आगरी का टिकट शोभा चौहान को मिला है। दो सीटें ऐसी भी है जहां पुरुष प्रत्याशी का टिकट काटकर महिला को दिया गया है। इसमें कोलायत से देवी सिंह भाटी का टिकट उनकी पुत्रवधू पूनम कंवर को दिया गया है।
पिछले चुनाव की इन नेत्रियों के टिकट काट पुरुषों को दे दिए
अमृता मेघवाल- पिछले चुनावों में 46 हजार के बड़े अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी को हराया था। इसके बाद भी उनका टिकट कट गया। उनकी जगह जोगेश्वर गर्ग को मौका दिया गया है। बताया जा रहा है कि जोगेश्वर गर्ग के संघ से काफी अच्छे रिश्ते हैं।
द्रोपदी मेघवाल- पीलीबंगा से कांग्रेस के दमदार प्रत्याशी विनोद कुमार को 10 हजार वोटों से हराया। लेकिन इनका टिकट धर्मेंद्र मोची को दिया गया है। ये ओम माथुर के करीबी माने जाते हैं।
प्रियंका चौधरी- बाड़मेर से प्रियंका चौधरी कांग्रेस के मेवाराम से 5 हजार से ज्यादा वोटों से हार गई थीं। अब भाजपा ने यहां से कर्नल सोनाराम को उतारा है। सोनाराम को लेकर बार-बार अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे कांग्रेस में जा सकते हैं ऐसे में इस क्षेत्र में पार्टी को नुकसान से बचाने के लिए उन्हें टिकट दिया गया।
संजना आगरी- कांग्रेस की संगीता आर्य को 20 हजार वोटों से हराया। उनकी जगह शोभा चौहान को टिकट दिया। शोभा के पति राजेश वर्मा आरएएस ऑफिसर हैं जो केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के ओएसडी रहे हैं।
अनिता कटारा- सागवाड़ा सीट से कांग्रेस के सुरेंद्र कुमार को लगभग 600 वोटों से हराया था। उनका टिकट काट कर शंकरलाल देथा को दिया गया। टिकट इसलिए कटा क्योंकि परिवार में ही झगड़ा चल रहा था। ससुर कनकमल कटरा भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे।
इनका टिकट अटका
विधायक अल्का सिंह गुर्जर, शिमला बावरी, राजकुमारी जाटव, सवाईमाधोपुर से दीया कुमारी और पिछला चुनाव हार गईं सुनीता मीणा, रोहिनी कुमारी के टिकट पर अभी असमंजस है।
निर्दलीय ने काटा बच्चू सिंह का टिकट
बयाना से विधायक बच्चू सिंह का टिकट काट कर ऋतु बनावत को दिया गया है। बनावत 2013 में इस सीट पर निर्दलीय खड़ी होकर बच्चू सिंह से मुकाबला कर चुकी हैं। बच्चू सिंह उनसे पांच हजार से भी कम अंतर से जीत थे। निर्दलीय रहते हुए भी बनावत 37 हजार वोट ले गईं थी।
भाटी ने की पुत्रवधू के टिकट की पैरवी
कोलायत में देवी सिंह भाटी पिछला चुनाव हार गए थे। अब उनकी जगह उनकी पुत्रवधू पूनम कंवर को टिकट दिया गया है। भाटी ने पिछले चुनावों में ही ऐलान कर दिया था कि वे अब आगे चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसलिए उन्होंने पुत्रवधू पूनम कंवर के लिए टिकट मांगा था।
तीन के टिकट पुरुषों को मिले
जिन महिला विधायकों के टिकट काटे गए उनमें से तीन के टिकट पुरुषों को मिले हैं। इसमें अमृता मेघवाल का टिकट जोगेश्वर गर्ग, द्रोपदी मेघवाल का धर्मेंद्र मोची, अनिता कटारा का शंकरलाल देथा को दिया गया है। वहीं बाड़मेर से चुनाव हार चुकी प्रियंका का टिकट कर्नल सोनाराम तथा सोजत से संजना आगरी का टिकट शोभा चौहान को मिला है। दो सीटें ऐसी भी है जहां पुरुष प्रत्याशी का टिकट काटकर महिला को दिया गया है। इसमें कोलायत से देवी सिंह भाटी का टिकट उनकी पुत्रवधू पूनम कंवर को दिया गया है।
पिछले चुनाव की इन नेत्रियों के टिकट काट पुरुषों को दे दिए
अमृता मेघवाल- पिछले चुनावों में 46 हजार के बड़े अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी को हराया था। इसके बाद भी उनका टिकट कट गया। उनकी जगह जोगेश्वर गर्ग को मौका दिया गया है। बताया जा रहा है कि जोगेश्वर गर्ग के संघ से काफी अच्छे रिश्ते हैं।
द्रोपदी मेघवाल- पीलीबंगा से कांग्रेस के दमदार प्रत्याशी विनोद कुमार को 10 हजार वोटों से हराया। लेकिन इनका टिकट धर्मेंद्र मोची को दिया गया है। ये ओम माथुर के करीबी माने जाते हैं।
प्रियंका चौधरी- बाड़मेर से प्रियंका चौधरी कांग्रेस के मेवाराम से 5 हजार से ज्यादा वोटों से हार गई थीं। अब भाजपा ने यहां से कर्नल सोनाराम को उतारा है। सोनाराम को लेकर बार-बार अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे कांग्रेस में जा सकते हैं ऐसे में इस क्षेत्र में पार्टी को नुकसान से बचाने के लिए उन्हें टिकट दिया गया।
संजना आगरी- कांग्रेस की संगीता आर्य को 20 हजार वोटों से हराया। उनकी जगह शोभा चौहान को टिकट दिया। शोभा के पति राजेश वर्मा आरएएस ऑफिसर हैं जो केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के ओएसडी रहे हैं।
अनिता कटारा- सागवाड़ा सीट से कांग्रेस के सुरेंद्र कुमार को लगभग 600 वोटों से हराया था। उनका टिकट काट कर शंकरलाल देथा को दिया गया। टिकट इसलिए कटा क्योंकि परिवार में ही झगड़ा चल रहा था। ससुर कनकमल कटरा भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे।
इनका टिकट अटका
विधायक अल्का सिंह गुर्जर, शिमला बावरी, राजकुमारी जाटव, सवाईमाधोपुर से दीया कुमारी और पिछला चुनाव हार गईं सुनीता मीणा, रोहिनी कुमारी के टिकट पर अभी असमंजस है।
निर्दलीय ने काटा बच्चू सिंह का टिकट
बयाना से विधायक बच्चू सिंह का टिकट काट कर ऋतु बनावत को दिया गया है। बनावत 2013 में इस सीट पर निर्दलीय खड़ी होकर बच्चू सिंह से मुकाबला कर चुकी हैं। बच्चू सिंह उनसे पांच हजार से भी कम अंतर से जीत थे। निर्दलीय रहते हुए भी बनावत 37 हजार वोट ले गईं थी।
भाटी ने की पुत्रवधू के टिकट की पैरवी
कोलायत में देवी सिंह भाटी पिछला चुनाव हार गए थे। अब उनकी जगह उनकी पुत्रवधू पूनम कंवर को टिकट दिया गया है। भाटी ने पिछले चुनावों में ही ऐलान कर दिया था कि वे अब आगे चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसलिए उन्होंने पुत्रवधू पूनम कंवर के लिए टिकट मांगा था।
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